- सावन के महीने में मंदिरों में भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ आती है
- हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करने पर हर मनोकामना पूरी होती है
- सावन के महीने में पारद शिवलिंग की पूजा करने का विशेष महत्व है
Jalabhishek of Parad Shivling: सावन का महीना चल रहा है और यह महीना शिव भक्तों के लिए सबसे खास महीना होता है। सावन का महीना भगवान शिव को भी अति प्रिय होता है। इस साल सावन के महीने में चार सोमवार का व्रत पड़ रहे हैं। पहला सोमवार का व्रत 18 जुलाई को हो चुका है। दूसरा सोमवार का व्रत 25 जुलाई को पड़ेगा। सावन के महीने में मंदिरों में भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ आती है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करने पर हर मनोकामना पूरी होती है। सावन के महीने में पारद शिवलिंग की पूजा करने का विशेष महत्व है। पारद शिवलिंग का जिक्र शिव पुराण और लिंगपुराण में मिलता है। वेदों और पुराणों में पारद को बहुत खास और चमत्कारी माना गया है। आइए जानते हैं श्रावण माह में पारद शिवलिंग की पूजा करने के क्या नियम है।
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पारद शिवलिंग के फायदे
पारद शिवलिंग चांदी और पारे के मिश्रण से बना होता है। इस शिवलिंग की पूजा करने से न केवल भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, बल्कि मां लक्ष्मी की भी विशेष कृपा बनी रहती है। ज्योतिशास्त्रों के मुताबिक पारद शिवलिंग की पूजा करने से ग्रह दोष भी शांत होते हैं। पारद शिवलिंग का वर्णन चरक संहिता समेत कई पुराणों में मिलता है। जीवन में सुख समृद्धि के लिए पारद शिवलिंग की पूजा बेहद लाभकारी है। इसे परिवार में सुख शांति बनी रहती है और कभी भी धन धान्य की कमी नहीं होती है।
जानिए पारद शिवलिंग के नियम
पारद शिवलिंग की पूजा पाठ करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इसकी पूजा में जरा सी चूक व्यक्ति को नुकसान भी पहुंचा सकती है। अगर घर में पारद शिवलिंग को स्थापित कर रहे हैं तो उसकी नियमित रूप से पूजा होना आवश्यक होता है। इसके अलावा पारद शिवलिंग को सफेद कपड़े पर स्थापित किया जाना चाहिए। ध्यान रखें कि पारद शिवलिंग के स्पर्श में स्वर्ण का कोई आभूषण नहीं आना चाहिए। वरना यह स्वर्ण को नष्ट कर देता है। जिस घर में पारद शिवलिंग स्थापित किया जाता है, वहां मांस मदिरा का सेवन नहीं होना चाहिए। पारद शिवलिंग के साथ रुद्राक्ष रखना भी अनिवार्य होता है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)