- अमावस्या की तिथि जगत के पालनहर्ता भगवान विष्णु को समर्पित है।
- अमावस्या का दिन पितरों को अत्यधिक प्रिय है, यह दिन प्रत्येक धर्म कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
- इस दिन राहु और केतु की उपासना विशेष फलदायी मानी जाती है।
Paush Amavasya 2022 date : भारतीय जनजीवन में अमावस्या का विशेष महत्व है, सूर्य और चंद्रमा के मिलन को अमावस्या कहते हैं। जब सूर्य और चंद्रमा के बीच का अंतर शून्य हो जाता है तब अमावस्या तिथि आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या की तिथि जगत के पालनहर्ता भगवान विष्णु को समर्पित है, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। भविष्यपुराण के अनुसार अमावस्या का दिन पितरों को अत्यधिक प्रिय है, यह दिन प्रत्येक धर्म कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
Paush Amavasya 2022 Date in hindi
हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 2 जनवरी 2022, रविवार को है। अमावस्या के दिन चंद्रमा के पूजा का विधान है, ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस दिन चंद्रमा की शक्ति जल में प्रविष्ट होती है। इस दिन राहु और केतु की उपासना विशेष फलदायी मानी जाती है।
Monthly Rashifal January 2022 Hindi
Paush Amavasya 2022 Date and time
हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 2 जनवरी 2022, रविवार को सुबह 3 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर रात 12:02 AM पर समाप्त होगी। इस दिन स्नान दान का विशेष महत्व है। विष्णु पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार इस दिन व्रत कर श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से पितृगण ही नहीं बल्कि सभी देवी देवता प्रसन्न होते हैं।
पौष अमावस्या का महत्व
सनातन धर्म में पौष अमावस्या ( Paush Amavasya 2022 Date) का विशेष का महत्व है, इसे छोटा पितृ पक्ष भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस महीने नियमित पितरों का पिंड दान करने से उन्हें वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति होती है और वह अपने परिजनों को आशीर्वाद देते हैं। इस दिन किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन चंद्रमा के पूजा का भी विधान है। कहा जाता है कि अमावस्या के दिन चंद्रमा की शक्तियां आकाश में निहित ना होकर जल में प्रविष्ट होती हैं।
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पौष अमावस्या पूजन विधि (Paush Amavasya Puja Vidhi)
अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान का विशेष महत्व है, यदि आप किसी पवित्र नदी में स्नान नहीं कर पाते तो पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ती स्थापित कर विधिवत पूजा अर्चना करें और पीपल के पेड़ पर अर्घ्य दें। मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों का वास होता है। इस दिन पीपल के पेड़ की परिक्रमा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पितृ दोष हो या संतानहीन योग बन रहा हो वो राहु केतु की पूजा करें। तथा इन मंत्रों का जाप करें।
Paush Amavasya Puja mantra
ओम तरुताजे नम:।।
शं शनैश्चराय नम:।।
पौष अमावस्या नियम, Paush Amavasya ke niyam
- पौष अमावस्या के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करें।
- तांबे के पात्र में जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।
- अमावस्या से एक दिन पहले ब्रम्हचर्य के नियमों का पालन पितृदोष से पीड़ित लोगों को पौष अमावस्या का व्रत अवश्य करना चाहिए।
Paush Amavasya vrat katha, पौष अमावस्या व्रत की कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक गरीब ब्राम्हण की सुंदर, गुणवान और संस्कारी बेटी थी। लेकिन गरीब होने के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। जिससे वह बेहद चिंतित रहा करता था। एक दिन उसके घर पर एक महाराज का आगमन हुआ, वह ब्राम्हण के सेवा भाव से अत्यंत प्रसन्न हुए और कन्या को लंबी आयु का आशीर्वाद देते हुए उन्होंने बताया कि इस कन्या की हथेली में विवाह का योग नहीं बन रहा है, तब ब्राम्हण दंपत्ति ने साधु से विवाह के लिए उपाय पूछा।
उन्होंने कहा कि यहां से कुछ दूरी पर सोना नाम की एक धोबिन रहती है, जो बहुत ही संस्कारी, संपन्न तथा परिपरायंण है। यदि आपकी पुत्री उसकी सेवा करे और वो इसकी मांग में सिंदूर भर दे तो इस कन्या का विवाह हो जाएगा। अगले दिन सुबह उठकर कन्या सोना धोबिन के घर जाकर साफ सफाई कर अपने घर वापस लौटती है। कुछ दिन बाद धोबिन ने ब्राम्हण की पुत्री को ऐसा करते हुए देख लिया और वह उसके पैरों में गिरकर पूछने लगी कि आप कौन हैं, तब कन्या ने उसे साधू द्वारा बताई गई सारी बातें बताई। इसे सुन सोना उसे अपनी मांग का सिंदूर देने के लिए तैयार हो गई।
धोबिन ने जैसे ही अपनी मांग का सिंदूर कन्या की मांग में लगाया उसके पति की मृत्यु हो गई। धोबिन को पता चल गया था कि उसके पति अब जीवित नहीं हैं। इसलिए वह ब्राम्हण के घर से बिना अन्न जल ग्रहण किए ही चल पड़ी। रास्ते में पीपल का पेड़ दिखने पर उसने 108 बार परिक्रमा करने के बाद जल ग्रहंण किया। ऐसा करते ही उसके पति जीवित हो गए। इसलिए जो व्यक्ति अमावस्या के दिन स्नान दान कर पीपल की परिक्रमा करता है और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।