- पौष मास में भगवान सूर्य की आराधना जरूर करें
- इस मास में जरूरतमंदों को जरूरी कपड़े और अन्न दान करें
- इस महीने आधी रात में की गई पूजा तप समान होती है
हिंदू पंचांग में नए महीने की शुरुआत होने जा रही है। 31 दिसंबर से पौष मास प्रारंभ हो रहा है। इस मास में भगवान सूर्य की पूजा के साथ दान-पुण्य का बहुत महत्व माना गया है। इस मास में यदि मनुष्य विधिवत पूजा-अर्चना करें तो उसे बेहतर स्वास्थ्य और मान-सम्मान मिलता है। पौराणिक ग्रंथों में भी इस मास के महत्व के बारे में बताया गया है। माना जाता है कि इस दिन केवल नए मास की शुरुआत की तिथि नहीं बदलती बल्कि, जीवन में भी बहुत से परिर्वतन होते हैं। इस मास का आधिपत्य भगवान सूर्य के पास होता है। इसलिए इस मास में सूर्य उपासना का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। माना जाता है कि मनुष्य को इस मास में अपने जीवन शैली में परिर्वतन लाना चाहिए तभी उसे सूर्य को अर्घ्य देने और उनकी नियमित उपासना करने का पूरा लाभ मिलता है।
जानें, क्यों है पौष मास का महत्व?
इस महीने सूर्य ग्यारह हजार रश्मियों के साथ व्यक्ति को उर्जा और स्वास्थ्य प्रदान करता है। पौष मास में अगर सूर्य की नियमित उपासना की जाए तो वर्षभर व्यक्ति स्वस्थ और संपन्न रहेगा। मान्यता है कि इस महीने में भगवान सूर्यनारायण की विशेष पूजा अर्चना से उत्तम स्वास्थ्य और मान सम्मान की प्राप्ति होती है।
ऐसे करें सूर्य देव की उपासना
पौष मास में हर दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर लें और सूर्योदय की पहली किरण पड़ते ही सूर्य को जल अर्पित करें। इसके लिए तांबे के पात्र में जल लें और उसमें रोली और लाल फूल डाल दें। इसके बाद "ॐ आदित्याय नमः" मंत्र का जाप करें। इस पूरे मास में कोशिश करें कि नमक का सेवन कम से कम किया जाए।
इस मास में जरूर करें ये काम
इस मास में आधी रात में की गई पूजा-अचर्ना को तप समान माना गया है और यही कारण है कि इस पूजा का त्वरित लाभ मिलता है। साथ ही इस मास में मनुष्य को जरूरतमंदों को गर्म वस्त्र और नवान्न का दान जरूर करना चाहिए। यदि आप अपने भाग्य को चमकाना चाहते हैं तो इस मास में लाल और पीले रंग के वस्त्र धारण करें। घर में कपूर का धूप शाम के समय जरूर दें।