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जानिए क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन, पढ़ें पर्व से जुड़ी ये पांच रोचक कहानियां

Updated Aug 09, 2019 | 23:13 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

हिंदू धर्म में रक्षाबंधन का त्योहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इसे मनाने के पीछे कई सारी कहानियां छुपी हुई हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspThinkstock
Raksha Bandhan
मुख्य बातें
  •  रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है
  • वास्तव में रक्षाबंधन भाई बहन के अटूट प्रेम को समर्पित त्योहार है 
  • पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रक्षा बंधन मनाने के पीछे कई कहानियां छिपी हैं 

Raksha Bandhan 2019: हिंदू धर्म में रक्षाबंधन का त्योहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई में राखी बांधती हैं और उनके अच्छे स्वास्थ और लंबे जीवन की कामना करती हैं। रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष रक्षाबंधन 15 अगस्त को मनाया जाएगा।

जिसके लिए बहने अभी से तैयारियों में जुट गयी हैं। वास्तव में रक्षाबंधन भाई बहन के अटूट प्रेम को समर्पित त्योहार है जो सदियों से मनाया जाता आ रहा है। आइये जानते हैं रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ धार्मिक और ऐतिहासिक कहानियों के बारे में।

जानिए क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन

भविष्‍य पुराण की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धरती की रक्षा के लिए देवता और असुरों में 12 साल तक युद्ध चला लेकिन देवताओं को विजय नहीं मिली। तब देवगुरु बृहस्पति ने इंद्र की पत्नी शची को श्राणण शुक्ल की पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर रक्षासूत्र बनाने के लिए कहा। इंद्रणी ने वह रक्षा सूत्र इंद्र की दाहिनी कलाई में बांधा और फिर देवताओं ने असुरों को पराजित कर विजय हासिल की।

वामन अवतार कथा
एक बार भगवान विष्णु असुरों के राजा बलि के दान धर्म से बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने बलि से वरदान मांगने के लिए कहा। तब बलि ने उनसे पाताल लोक में बसने का वरदान मांगा। भगवान विष्णु के पाताल लोक चले जाने से माता लक्ष्मी और सभी देवता बहुत चिंतित हुए। तब मां ने लक्ष्मी गरीब स्त्री के वेश में पाताल लोक जाकर बलि को राखी बांधा और भगवान विष्णु को वहां से वापस ले जाने का वचन मांगा। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी। तभी से रक्षाबंधन मनया जाता है।

द्रौपदी और श्रीकृष्‍ण की कथा
महाभारत काल में कृष्ण और द्रोपदी को भाई बहन माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिशुपाल का वध करते समय भगवान कृष्ण की तर्जनी उंगली कट गयी थी। तब द्रोपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उंगली पर पट्टी बांधा था। उस दिन श्रावण पूर्णिमा का दिन था। तभी से रक्षाबंधन श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है। कृष्ण ने एक भाई का फर्ज निभाते हुए चीर हरण के समय द्रोपदी की रक्षा की थी।

बादशाह हुमायूं और कमर्वती की कथा
रक्षाबंधन पर हुमायूं और रानी कर्मवती की कथा सबसे अधिक याद की जाती है। कहा जाता है कि राणा सांगा की विधवा पत्नी कर्मवती ने हुमांयू को राखी भेजकर चित्तौड़ की रक्षा करने का वचन मांगा था। हुमांयू ने भाई का धर्म निभाते हुए चित्तौड़ पर कभी आक्रमण नहीं किया और चित्तौड़ की रक्षा के लिए उसने बहादुरशाह से भी युद्ध किया

सिकंदर और पुरू की कथा
इतिहास के अनुसार राजा पोरस को सिकंदर की पत्नी ने राखी बांधकर अपने सुहाग की रक्षा का वचन मांगा था। जिसके चलते सिकंदर और पोरस ने रक्षासूत्र की अदला बदली की थी। एक बार युद्ध के दौरान सिकंदर ने पोरस पर हमला किया तो वह रक्षासूत्र देखकर उसे अपना दिया हुआ वचन याद आ गया और उसने पोरस से युद्ध नहीं किया।

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