- हर माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि प्रदोष व्रत कहलाती है
- बुधवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने की वजह से इससे बुध प्रदोष कहा जाता है
- बुध प्रदोष व्रत नियम अनुसार करने से अत्यंत लाभकारी साबित होता है
Pradosh Vrat: हिंदू धर्म शास्त्रों में मासिक प्रदोष व्रत से मिलने वाले लाभ का उल्लेख किया गया है। प्रदोष व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 10 मार्च को पड़ रही है। बुधवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने की वजह से इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जा रहा है। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत अत्यंत कल्याणकारी होता है और इस दिन भगवान शिव की पूजा आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रदोष व्रत के कारण ही चंद्रमा को क्षय रोग से मुक्ति मिली थी। माना जाता है कि जो भक्त इस दिन मां पार्वती और भगवान शिव की आराधना करता है उसके जीवन में हमेशा खुशियां आती रहती हैं और वह हर तरह की परेशानियों से दूर रहता है। यहां जाने प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और नियम।
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत तिथि: 10 मार्च 2021, बुधवार
त्रयोदशी प्रारंभ: 10 मार्च 2021 (दोपहर 02:40 से लेकर)
त्रयोदशी समाप्त: 11 मार्च 2021 (02:39 तक)
ऐसी होनी चाहिए प्रदोष व्रत की पूजा की थाली
जानकारों के मुताबिक प्रदोष व्रत पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते समय पूजा की थाली में अक्षत, बिल्वपत्र, अबीर और गुलाल, चंदन, घी या तेल का दीपक, सुगंधित फूल, अगरबत्ती, कलावा, सुगंधित कपूर और मिठाई जरूर होना चाहिए।
प्रदोष व्रत के नियम
जो भक्त प्रदोष व्रत करना चाहते हैं उन्हें इस दिन अन्न का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि प्रदोष व्रत रखने वाले व्यक्ति इस दिन सुबह के समय दूध पी सकते हैं। प्रदोष व्रत पर सुबह नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर और स्नान आदि करके मां पार्वती और भगवान शिव के सामने व्रत का संकल्प लेना चाहिए। फिर पूजा घर को साफ करके मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा-आराधना करना चाहिए और आरती के बाद फलाहार ग्रहण करना चाहिए। नियम के अनुसार, प्रदोष व्रत पर नमक का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
प्रदोष व्रत का महत्व
जानकारों के मुताबिक, प्रदोष व्रत पुण्यदायिनी और कल्याणकारी मानी गई है। कहा जाता है कि जो माता-पिता अपने बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रदोष व्रत रखते हैं तथा नियम अनुसार पूजा करते हैं उनकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं। मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा-आराधना करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए और उन्हें हरी इलायची अर्पित करनी चाहिए। प्रदोष व्रत पर गंगाजल से स्नान करने से ग्रहों के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है और सारी नकारात्मकता दूर हो जाती है।