- रक्षा बंधन का त्योहार खुशियों और उल्लास के साथ मनाया जाता है
- इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं
- रक्षा बंधन सावन के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है
Raksha Bandhan History and significance : रक्षाबंधन का त्योहार सावन के महीने में पूर्णिमा को मनाया जाता है। रक्षा बंधन दो शब्दों को मिलाकर बनता है, रक्षा और बंधन। जिसका मतलब एक ऐसा बंधन जो रक्षा करता हो। रक्षा बंधन भाई-बहन का प्रतीक माना जाता है। रक्षा बंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को जताता है और घर में खुशिया लेकर आता है। इसके अलावा यह त्योहार भाईयों को याद दिलाता है कि उन्हें अपनी बहनों की रक्षा करनी चाहिए।
रक्षा बंधन क्यों मनाते हैं, Why do we celebrate Raksha Bandhan
रक्षा बंधन का त्योहार भाई को अपनी बहन के प्रति उसका कर्तव्य याद दिलाता है। इस त्योहार को केवल सगे भाई-बहन ही नहीं बल्कि कोई भी पुरुष-महिला मना सकते हैं। इस दिन सभी बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उसकी खुशी और स्वास्थय के लिए मन्नत मांगती हैं। भाई भी राखी बांधने के बदले अपनी बहन को गिफ्ट देता है और उसकी रक्षा करने की प्रतिज्ञा करता है।
रक्षा बंधन का इतिहास, History of Raksha Bandhan
रंक्षा बंधन का त्योहार भारतीय घरों में खुशियों के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार को गरीब से लेकर अमीर तक सभी मनाते हैं। जैसे सभी त्योहारों का इतिहास होता है ऐसे रक्षा बंधन का भी अपना इतिहास है। आइए यहां हम आपको रक्षा बंधन के इतिहास के बारे में बताते हैं।
- सम्राट Alexander और सम्राट पुरु
रक्षा बंधन का त्योहार सबसे पहले सन 300 BC मनाया गया था। उस समय Alexander भारतो को जीतने के लिए अपनी सारी सैना लेकर यहां आया था और यहां सम्राट पुरु का काफी नाम था। Alexander ने कभी किसी से मात नहीं खाई लेकिन सम्राट पुरु की सैना के साथ लड़ने में उन्हें परेशानी हो रही थी। लेकिन जब Alexander की वाइफ को रक्षा बंधन के बारे में पता चला तो उसने सम्राट पुरु के लिए राखी भिजवाई। उनका राखी भिजवाने का मकसद यह था कि जिससे सम्राट पुरु उनके पति Alexander को जान से न मार दें। इसलिए पुरु ने Alexander की पत्नी की भेजी हुई राखी का रिश्ता निभाया और Alexander को नहीं मारा।
- इन्द्र देव की कहानी
भविष्य पुराण के मुताबिक असुर राजा बाली ने देवताओं पर हमला किया था, तो उस समय देवताओं के राजा इंद्र को काफी क्ष्यती पहुंची थी। इंद्र की पत्नी सची से ऐसी स्थिति देखी नहीं गई। फिर वह विष्णु जी के पास गई और उनसे समाधान मांगने लगी। तब विष्णु जी ने सची को एक धागा दिया और कहा कि वह इस धागे को अपने पति की कलाई पर बांधे। ऐसा करने पर इंद्र के हाथों राजा बलि की पराजय हो गई। इसलिए पुराने जमाने में युद्ध में जाने से पहले सभी पत्नियां और बहनें अपने पति और भाईयों के हाथ में रक्षा का धागा बांधती थी।
- कृष्ण और द्रौपदी की कहानी
जब श्री कृष्ण ने शिशुपाल को मारा था तो उनके हाथ खून में सन गए थे। फिर द्रौपदी नें अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर कृष्ण जी के हाथ में बांध दिया था। जिसके बदले श्री कृष्ण ने द्रौपदी को मुसीबत के समय सहायता करने का वचन दिया।
- महाभारत में राखी
माना जाता है कि जब युधिष्ठिर ने कृष्ण जी से पूछा कि वह सारे संकटों को कैसे पार कर सकता है, तो कृष्ण जी ने उन्हें रक्षा बंधन का त्योहार बनाने की सलाह दी।
- संतोषी मां की कहानी
गणेश जी के दोनों पुत्रों को कोई बहन नहीं थी। इसलिए उन्होंने अपने पिता से जिद की कि उन्हें भी एक बहन चाहिए। इसलिए तब नारद जी के हस्तक्ष्येप करने पर बाध्य होकर भगवान् गणेश को अपनी शक्ति का प्रयोग कर संतोषी माता को उत्पन्न करना पड़ा। दोनों भाइयों ने रक्षा बंधन के मौके पर ही अपनी बहन को पाया था।