- नियम और विधियों के साथ जलाएं पूजा में दीपक
- देवशक्ति का प्रतीक माना जाता है पूजा में जलाया गया दीपक
- पूजा में दीपक जलाने से मिलता है भगवान का आशीर्वाद
Astro Tips Puja Deepak Rules: हिंदू धर्म में प्रतिदिन सभी घरों पर पूजा-पाठ किया जाता हैं। पूजा-पाठ से जुड़ी की कई विधियां और नियम होते हैं। लेकिन धूप-दीप जलाना सबसे महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि हिंदू धर्म में अग्नि को पवित्र माना जाता है। अगर आप प्रतिदिन सुबह-शाम घर पर पूजा करत हैं दीपक जरूर लगाएं। दीपक यानी अग्नि का वह छोटा स्वरूप, जिसे देवशक्ति का प्रतीक माना जाता है। इसलिए दीपक के प्रकाश से भगवान प्रसन्न होते हैं और जीवन का अंधकार खत्म होता है। वास्तु के अनुसार जिस घर पर दीपक जलाए जाते हैं वहां नकारात्मकता का वास नहीं होता है। लेकिन देवी-देवताओं के सामने दीपक जलाने के कुछ नियम होते हैं। कई लोग इन नियमों से अवतगत नहीं होते और जाने-अनजाने में गलती कर देते हैं। जानते हैं पूजा में देवी-देवताओं के समक्ष दीपक जलाने का सही नियम।
क्या है दीपक जलाने का सही समय
किसी भी कार्य का फल तभी प्राप्त होता है जब वह उचित समय पर किया गया है। ठीक इसी तरह पूजा-पाठ के लिए भी समय निर्धारित किए गए हैं। सही समय पूजा करने से ही भगवान का आशीर्वाद और पूजा का फल प्राप्त होता है। बात करें पूजा में दीपक जलाने के सही समय के बारे में तो प्रात:काल पूजा में देवी-देवताओं के सामने दीपक हमेशा सुबह 5 बजे से लेकर 10 बजे तक जलाना चाहिए। वहीं संध्या पूजा के समय दीपक 5 बजे से 7 बजे के बीच जलाना सबसे उत्तम माना गया है।
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दीपक को लेकर इन बातों का रखें ध्यान
- पूजा में कभी भी खंडित या टूटा-फूटा दीपक का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- घी के दीपक में सफेद रुई की बाती और तेल के दीपक को लाल बाती या मौली से जलाएं।
- इस बात का ध्यान रखें कि दीपक पूजा के बीच में नहीं बुझना चाहिए।
- पूजा में साफ दीपक का प्रयोग करें। यदि दीपक मिट्टी का है तो हमेशा नए दीपक का इस्तेमाल करें। यदि दीपक किसी धातु का है तो इसे साफ पानी से धोने के बाद ही जलाएं।
- दीपक को हमेशा भगवान के समक्ष ही जलाएं।
- घी के दीपक को भगवान के बाईं ओर रखना चाहिए।
- तेल के दीपक को भगवान के दाईं ओर जलाना चाहिए।
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पूजा में जलाए जाने वाले दीपक को देवशक्ति का प्रतीक माना जाता है। इसलिए विधि और नियम के साथ ही पूजा में दीपक जलाना चाहिए। साथ ही दीपक जलाते समय 'दीपो ज्योति परंब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:। दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोस्तुते।।शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय दीपकाय नमोस्तुते।।' इस मंत्र का जाप जरूर करें और दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करें।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)