शारदीय नवरात्र में देवी दुर्गा की पूजा सुबह और शाम की जाती है, जो कलश स्थापना करते हैं वह अखंड ज्योत भी जलाते हैं। यदि कलश स्थापना या अखंड ज्योत आप नहीं जलाते तो भी सुबह-शाम देवी के समक्ष घी का दीया जरूर जाएं। साथ ही संध्या आरती करना किसी भी तरह न भूलें। देवी की पूजा में यदि शाम के समय संध्या आरती नहीं होती तो पूजा का संपूर्ण फल मनुष्य को नहीं मिलता। नवरात्रि में 9 दिनों बहुत विशेष होते हैं और देवी की पूजा के लिए खास महत्व रखते हैं।
देवी की पूजा सात्विक और तांत्रिक रूप में की जाती है। गृहस्थ आश्रम में रहने वालों को भी देवी की पूजा शाम के समय जरूर करनी चाहिए। मान्यता है कि देवी की आधी रात में पूजा तंत्र सिद्धि के लिए की जाती है, लेकिन नवरात्रि में संध्या आरती सभी को करना चाहिए। देवी शक्ति की सुबह के समय पूजा समान्य रूप से की जाती हैं, लेकिन आरती, पाठ, मंत्र या उपाय सब शाम के समय ही करना चाहिए।
क्या होता है संध्या आरती (Navratri Sandhya Aarti)
संध्या आरती देवी की रोज की जाने वाली आरती होती है, लेकिन इस आरती को विशेष तरीके से किया जाता है। देवी के समक्ष ज्योत जलाने के बाद देवी का पुन: श्रृंगार कर पूजा की जाती हैं, इसके बाद धूप से आरती की जाती है। यदि पंडालों में ये आरती होती है तो देवी मां को वस्त्र, लाल फल, पुष्प चावल,मेवा और गहने भी अर्पित करने के बाद संगीत, शंख, ढोल, नगाड़ों, घंटियों और नाच-गाने के बीच संध्या आरती की रस्म पूरी की जाती है। इस दिन जिस देवी मां का दिन होता है उस दिन उनकी आरती गाई जाती है।
दुर्गा जी की आरती (Navratri Sandhya Aarti Lyrics in hindi)
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुम को निस दिन ध्यावत
मैयाजी को निस दिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी ।| जय अम्बे गौरी ॥
माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को |मैया टीको मृगमद को
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको|| जय अम्बे गौरी ॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे| मैया रक्ताम्बर साजे
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे|| जय अम्बे गौरी ॥
केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी| मैया खड्ग कृपाण धारी
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी|| जय अम्बे गौरी ॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती| मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति|| जय अम्बे गौरी ॥
शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर घाती| मैया महिषासुर घाती
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती|| जय अम्बे गौरी ॥
चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे| मैया शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भयहीन करे|| जय अम्बे गौरी ॥
ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी| मैया तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी|| जय अम्बे गौरी ॥
चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों| मैया नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू|| जय अम्बे गौरी ॥
तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता| मैया तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता|| जय अम्बे गौरी ॥
भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी| मैया वर मुद्रा धारी
मन वाँछित फल पावत देवता नर नारी|| जय अम्बे गौरी ॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती| मैया अगर कपूर बाती
माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती|| बोलो जय अम्बे गौरी ॥
माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे| मैया जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे|| जय अम्बे गौरी ॥
देवी वन्दना
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता|नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ||
तो नवरात्रि में संध्या आरती जरूर करें और इसमें परिवार के सभी लोगों को शामिल करें।