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Saraswati Chalisa In Hindi: सरस्वती चालीसा के ल‍िर‍िक्‍स ह‍िंदी में, जानें क्‍या हैं इसे पढ़ने के फायदे

Updated Feb 05, 2022 | 08:16 IST

Saraswati Chalisa lyrics in hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार सरस्वती पूजा हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। शास्त्र के अनुसार बसंत पंचमी के दिन से ही दुनिया में संगीत का जन्म हुआ था।

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Saraswati Chalisa Lyrics: सरस्वती चालीसा हिंदी में लिखा हुआ
मुख्य बातें
  • बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से मिलती है विशेष कृपा।
  • जीवन में कामयाबी हासिल करने के लिए मां सरस्वती की पूजा होती है बेहद लाभदायक।
  • विद्यार्थियों के लिए बेहद खास होता है यह दिन।

Saraswati Chalisa Lyrics in Hindi: हिंदू धर्म में मां सरस्वती को ज्ञान की देवी के रूप में पूजा जाता है। इनकी पूजा अर्चना जीवन जीवन में कामयाबी दिलाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार सरस्वती पूजा हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह पूजा कल मनाई जाएगीष मां सरस्वती को वाणी की अधिष्ठात्री देवी के रूप में भी जाना जाता है। धर्म के अनुसार बसंत पंचमी के दिन से हैं दुनिया में संगीत की शुरुआत हुई थी। यह दिन विद्यार्थियों और संगीत से जुड़े लोगों को लिए बेहद खास होता हैं।

ऐसी मान्यता है कि मां सरस्वती की कृपा जिस व्यक्ति पर होती है, उस घर में मां लक्ष्मी सदन निवास करती हैं। उस घर में कोई भी अमल नहीं होता है। यदि आप भी बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विशेष कृपा पाना चाहते है, तो उनकी पूजा में यह चालीसा जरूर पढ़ें। माता आपकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण कर देंगी। यहां आप सरस्वती चालीसा शुद्ध-शुद्ध देखकर पढ़ सकते है।

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सरस्वती चालीसा हिन्दी में  (Saraswati Chalisa lyrics in hindi)


             ।।चौपाई।।

जय श्री सकल बुद्धि बलरासी। जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥
जय जय जय वीणाकर धारी। करती सदा सुहंस सवारी॥
रूप चतुर्भुज धारी माता। सकल विश्व अन्दर विख्याता॥
जग में पाप बुद्धि जब होती।तब ही धर्म की फीकी ज्योति॥
तब ही मातु का निज अवतारी। पाप हीन करती महतारी॥
वाल्मीकिजी थे हत्यारा।तव प्रसाद जानै संसारा॥
रामचरित जो रचे बनाई। आदि कवि की पदवी पाई॥
कालिदास जो भये विख्याता। तेरी कृपा दृष्टि से माता॥
तुलसी सूर आदि विद्वाना। भये और जो ज्ञानी नाना॥
तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा। केव कृपा आपकी अम्बा॥
करहु कृपा सोइ मातु भवानी। दुखित दीन निज दासहि जानी॥
पुत्र करहिं अपराध बहूता। तेहि न धरई चित माता॥
राखु लाज जननि अब मेरी। विनय करउं भांति बहु तेरी॥
मैं अनाथ तेरी अवलंबा। कृपा करउ जय जय जगदंबा॥
मधुकैटभ जो अति बलवाना। बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना॥
समर हजार पाँच में घोरा। फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा॥
मातु सहाय कीन्ह तेहि काला। बुद्धि विपरीत भई खलहाला॥
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी। पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥
चंड मुण्ड जो थे विख्याता। क्षण महु संहारे उन माता॥
रक्त बीज से समरथ पापी। सुरमुनि हदय धरा सब काँपी॥
काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा। बारबार बिन वउं जगदंबा॥
जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा। क्षण में बाँधे ताहि तू अम्बा॥
भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई। रामचन्द्र बनवास कराई॥
एहिविधि रावण वध तू कीन्हा। सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा॥
को समरथ तव यश गुन गाना। निगम अनादि अनंत बखाना॥
विष्णु रुद्र जस कहिन मारी। जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥
रक्त दन्तिका और शताक्षी। नाम अपार है दानव भक्षी॥
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा। दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥
दुर्ग आदि हरनी तू माता। कृपा करहु जब जब सुखदाता॥
नृप कोपित को मारन चाहे। कानन में घेरे मृग नाहे॥
सागर मध्य पोत के भंजे। अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥
भूत प्रेत बाधा या दुःख में। हो दरिद्र अथवा संकट में॥
नाम जपे मंगल सब होई। संशय इसमें करई न कोई॥
पुत्रहीन जो आतुर भाई। सबै छांड़ि पूजें एहि भाई॥
करै पाठ नित यह चालीसा। होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा॥
धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै। संकट रहित अवश्य हो जावै॥
भक्ति मातु की करैं हमेशा। निकट न आवै ताहि कलेशा॥
बंदी पाठ करें सत बारा। बंदी पाश दूर हो सारा॥
रामसागर बाँधि हेतु भवानी। कीजै कृपा दास निज जानी॥

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                             ।।दोहा।।

मातु सूर्य कान्ति तव, अन्धकार मम रूप। डूबन से रक्षा करहु परूँ न मैं भव कूप॥
बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु। राम सागर अधम को आश्रय तू ही देदातु॥

मान्‍यताओं के अनुसार, सरस्‍वती चालीसा का जाप करने से द‍िमाग तेज होता है, बुद्ध‍ि का व‍िकास होता है। ज‍िन बच्‍चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है, उनके ल‍िए सरस्‍वती चालीसा के जाप की सलाह दी जाती है। साथ ही इस चालीसा के जाप को कार्य में आने वाली बाधाओं को दूर करने वाला भी माना जाता है। 

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