- शिव और चंद्रदेव की पूजा का विशेष दिन एक ही होता है
- शिव और चंद्रदेव की पूजा एक दूसरे को मिलती हैं
- सावन शिवजी का प्रिय माह है और सोमवार विशेष दिन
सावन में सोमवार का महत्व एक नहीं दो कारणों से ज्यादा होता है। पहला सोमवार का दिन भगवान शंकर के साथ चंद्रदेव का भी होता है। दूसरा सावन शिवजी का सबसे प्रिय माह होता है। इसी वजह से सावन के सोमवार का महत्व अपने आप बढ़ जाता है। इतना ही नहीं भगवान शिव से भी चंद्रदेव का संबंध है। भगवान शिव के जटा में विराजे चंद्रदेव भगवान शंकर को विष के ताप से बचाकर शीतलता प्रदान करते हैं। इस तरह चंद्र की पूजा से शिव की पूजा और शिव की पूजा से चंद्र की पूजा जुड़ी हुई है।
sawan somvar ka mahatva : विष और ताप की उग्रता को हरने वाले हैं चंद्र
भगवान शिव के विष की उग्रता के साथ ही चंद्रदेव ताप की उग्रता को भी हरते हैं। सावन माह में सोमवार की पूजा से शिव और चंद्र दोनों ही प्रसन्न होते हैं। सावन में गर्मी अपने प्रचंड रूप में होती है। ऐसे में चंद्र की शीतलता से मनुष्यों को राहत मिलती है। इसलिए सावन मे सोमवार की पूजा का महत्व इस कारण भी बढ़ जाता है।
sawan somvar ka mahatva : अमोघ पुण्य प्रदान करने वाले हैं शिव
मान्यता है कि श्रावण माह के सोमवार के दिन भगवान शिव की अल्प पूजा से भी अमोघ पुण्य यानी अथाह पुण्य की प्राप्ति होती है। सावन में शिव की पूजा करना अनंत कष्टों से मुक्ति दिलाता है। भगवान शिव को पाने के लिए देवी पार्वती ने घनघोर तप किया था। सोमवार और शिव जी के संबंध के कारण ही मां पार्वती ने सोलह सोमवार का उपवास रखा था और यही कारण है कि शिवजी को यह श्रावण मास अत्यधिक प्रिय है और वह वैवाहिक और संतान सुख प्रदान करने वाले माने गए हैं।
sawan somvar ka mahatva : सावन के सोमवार के व्रत का विशेष पुण्यलाभ भी जानें
सावन के सोमवार को भगवान शिव व देवी पार्वती की पूजा से वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है। साथ ही यदि कुंडली में विवाह का योग न हो या विवाह में अड़चन आती हो तो सावन का सोलह सोमवार व्रत बहुत फलदायी होगा। यदि कुंडली में आयु कम हो या रोग व मानसिक अशांति हो तो सावन के सोमवार का व्रत श्रेष्ठ परिणाम देता है।