- शिवजी के 81 नामों में छुपा है चमत्कारिक लाभ
- सावन मास में सोमवार के दिन इन नामों का जाप करें
- इन नामों का जाप हमेशा मन में ही करना चाहिए
सावन में शिवजी को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त तमाम प्रयास करते हैं। कोई पूरे सावन मास हर दिन शिवजी की विशेष पूजा करता है तो कोई सावन के हर सोमवार को व्रत रखता है। रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय के जाप और शिव के महामंत्रों के उच्चारण से शिवजी को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है, लेकिन हर कोई सब कुछ नहीं कर पाता। ऐसे में यदि आप सावन में सोमवार के दिन शिवजी के 81 नामों का जाप कर लें तो आपको पूरे सावन मास की पूजा का पुण्यलाभ मिल जाएगा।
मान्यता है कि सावन में भगवान शिव पूरे माह पृथ्वी पर वास करते हैं। इसलिए इस दौरान पूजा का फल मनुष्य को तुंरत मिलता है। यदि आप सावन में हर दिन शिवजी की पूजा नहीं कर पा रहे तो आपको शिवजी के 81 नामों का मन में स्मरण करना ही सारे पुण्य दिला देगा। शिव जी के इन नामों का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। तो आइए जानें शिवजी के नाम और उनके अर्थ।
Shiv Pooja, नाम जपने से पहले कर लें ये काम
शिवजी की पारद शिवलिंग का जलाभिषेक करें। इसके बाद शिवजी को कम से कम 51 बेलपत्र चढ़ाएं और इसके बाद अक्षत, धतूरा, कनैल का फूल और भांग चढ़ाएं। इसके बाद वहीं बैठकर शिवचालीसा और शिवजी की आरती करें। इसके बाद शिवजी के 81 नामों का जाप कर लें।
भगवान शिव के 81 नाम व उनके अर्थ
1. शिव- कल्याण स्वरूप
2. महेश्वर- माया के अधीश्वर
3. शम्भू- आनंद स्वरूप वाले
4. पिनाकी- पिनाक धनुष धारण करने वाले
5. शशिशेखर- सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले
6. वामदेव- अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले
7. विरूपाक्ष- विचित्र आंख वाले
8. कपर्दी- जटाजूट धारण करने वाले
9. नीललोहित- नीले और लाल रंग वाले
10. शंकर- सबका कल्याण करने वाले
11. शूलपाणी- हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले
12. खटवांगी- खटिया का एक पाया रखने वाले
13. विष्णुवल्लभ- भगवान विष्णु के अति प्रिय
14. शिपिविष्ट- सितुहा में प्रवेश करने वाले
15. अंबिकानाथ- देवी भगवती के पति
16. श्रीकण्ठ- सुंदर कण्ठ वाले
17. भक्तवत्सल- भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले
18. ललाटाक्ष- ललाट में आंख वाले
19. महाकाल- कालों के भी काल
20. त्रिलोकेश- तीनों लोकों के स्वामी
21. शितिकण्ठ- सफेद कण्ठ वाले
22. शिवाप्रिय- पार्वती के प्रिय
23. उग्र- अत्यंत उग्र रूप वाले
24. कपाली- कपाल धारण करने वाले
25. कामारी- कामदेव के शत्रु, अंधकार को हरने वाले
26. सुरसूदन- अंधक दैत्य को मारने वाले
27. गंगाधर- गंगा जी को धारण करने वाले
28. कैलाशवासी- कैलाश के निवासी
29. जटाधर- जटा रखने वाले
30. कृपानिधि- करूणा की खान
31. भीम- भयंकर रूप वाले
32. परशुहस्त- हाथ में फरसा धारण करने वाले
33. मृगपाणी- हाथ में हिरण धारण करने वाले
34. परमेश्वर- सबसे परम ईश्वर।
35. महादेव- देवों के भी देव
36. भस्मोद्धूलितविग्रह- सारे शरीर में भस्म लगाने वाले
37. त्रिपुरांतक- त्रिपुरासुर को मारने वाले
38. त्रयीमूर्ति- वेदरूपी विग्रह करने वाले
39. अनीश्वर- जो स्वयं ही सबके स्वामी है
40. परमात्मा- सब आत्माओं में सर्वोच्च
41. तारक- सबको तारने वाले
44. प्रजापति- प्रजाओं का पालन करने वाले
45. गणनाथ- गणों के स्वामी
47. गिरीश- पर्वतों के स्वामी
48. सोमसूर्याग्निलोचन- चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आंख वाले
51. सोम- उमा के सहित रूप वाले
52. पंचवक्त्र- पांच मुख वाले
53. सदाशिव- नित्य कल्याण रूप वाले
54. विश्वेश्वर- सारे विश्व के ईश्वर
55. वीरभद्र- वीर होते हुए भी शांत स्वरूप वाले
56. मृत्युंजय- मृत्यु को जीतने वाले
57. मृत्युंजय- मृत्यु को जीतने वाले
60. पशुपति- पशुओं के स्वामी
61. गिरिश्वर- कैलाश पर्वत पर सोने वाले
63. भुजंगभूषण- सांपों के आभूषण वाले
64. जगद्व्यापी- जगत् में व्याप्त होकर रहने वाले
65. जगद्गुरू- जगत् के गुरू
66. व्योमकेश- आकाश रूपी बाल वाले
67. भूतपति- भूतप्रेत या पंचभूतों के स्वामी
68. स्थाणु- स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले
69. दिगम्बर- नग्न, आकाशरूपी वस्त्र वाले
70. अष्टमूर्ति- आठ रूप वाले
71. अनेकात्मा- अनेक रूप धारण करने वाले
72. सात्त्विक- सत्व गुण वाले
73. शुद्धविग्रह- शुद्धमूर्ति वाले
74. शाश्वत- नित्य रहने वाले
75. अनंत- देशकालवस्तु रूपी परिछेद से रहित
76. अव्यय- खर्च होने पर भी न घटने वाले
77. भगनेत्रभिद्- भग देवता की आंख फोड़ने वाले
78. अव्यक्त- इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले
79. सहस्राक्ष- हजार आंखों वाले
80. सहस्रपाद- हजार पैरों वाले
81. अपवर्गप्रद- कैवल्य मोक्ष देने वाले
शिवजी के इन 81 के नाम का जाप करने पर से मनुष्य की सारी मनोकामना पूरी हो जाती है। सावन मास में जिस तरह से शिवजी के रुद्राभिषेक का महत्व होता है, ठीक उसी तरह शिवा मुट्ठी चढ़ाने का भी महत्व है। शिवा मुट्ठी चढ़ाने के लिए शाम के समय सबसे ज्यादा उपयुक्त माना गया है।