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शनि प्रदोष व्रत: जानिए क्या है व्रत की महिमा, सुनिए शनि प्रदोष की पौराणिक कथा

Updated Apr 24, 2021 | 08:12 IST

Shani Pradosh vrat katha : हर महीने शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। अगर प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ता है तो उसे शनि प्रदोष कहा जाता है।

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
शनि प्रदोष व्रत कथा।
मुख्य बातें
  • इस वर्ष 24 अप्रैल को पड़ रहा है चैत्र मास के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत
  • शनिवार के दिन पड़ रहा है चैत्र मास के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत इसलिए कहा जाएगा शनि प्रदोष
  • शनि प्रदोष पर कथा सुनना बेहद शुभ माना जाता है, इस पौराणिक कथा को सुनने से खुशियों का वरदान मिलता है

नई दिल्ली: आज यानी 24 अप्रैल को चैत्र मास का शनि प्रदोष व्रत है। यह तिथि कल्याणकारी मानी जाती है। प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की पूजा की जाती है  कहा जाता है कि अगर प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ता है तो इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है।

इस बार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के शनि प्रदोष व्रत पर ध्रुव योग बन रहा है जिससे इस व्रत का महत्व दो गुना बढ़ गया है। मान्यताओं के अनुसार शनि प्रदोष व्रत पर कथा का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है। अगर आप भी शनि प्रदोष व्रत कर रहे हैं तो यह पौराणिक कथा अवश्य सुनिए।

बहुत समय पहले एक सेठ रहा करता था। वह सेठ धन-धान्य से परिपूर्ण था लेकिन वह हमेशा दुखी और परेशान रहा करता था। उसके दुख की वजह यह थी कि उसकी एक भी संतान नहीं थी। एक दिन सेठ ने अपना सारा कारोबार नौकरों को दे दिया और अपनी पत्नी के साथ तीर्थ यात्रा पर चला गया।

अपने गांव से बाहर निकलते ही उसे एक साधु मिला जो भक्ति में लीन था। साधु को देखते ही वह उनका आशीर्वाद लेने के लिए चला गया। साधु भक्ति में लीन थे इसीलिए सेठ और सेठानी उसके पास बैठ गए। जब साधु ने अपनी आंखें खोली तब उसे पता चला कि सेठ और सेठानी उसके आशीर्वाद के लिए बहुत देर से प्रतीक्षा कर रहे हैं।

साधु ने सेठ को बताया कि वह उसके दुख के कारण को अच्छी तरह से जानता है। दुखों के निवारण के लिए साधु ने सेठ को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। साधु से प्रदोष व्रत की विधि और महात्मय जानकर वह दोनों तीर्थ यात्रा पर चले गए। जब वह दोनों तीर्थ यात्रा से वापस लौटे तो प्रदोष व्रत करने की तैयारी में जुट गए। सेठ और सेठानी ने प्रदोष व्रत किया जिसके फलस्वरूप उन्हें एक सुंदर पुत्र मिला। 

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