- 26 सितंबर से 05 अक्टूबर तक नवरात्रि
- नवरात्रि में ज्वार बोने का विशेष महत्व
- इंसान की धन-समृद्धि से होता है कनेक्शन
Shardiya Navratri 2022: नवरात्रि का महापर्व साल में दो बार आता है। इन्हें चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि कहते हैं। इस साल शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से 05 अक्टूबर तक रहने वाले हैं। नवरात्रि में कलश स्थापना, अखंड ज्योति और जौ बोने का विशेष महत्व बताया गया है। कई जगहों पर इसे ज्वार भी कहते हैं। नवरात्रि में ज्वार मिट्टी के एक पात्र में बोई जाती है। ये पूरे नौ दिनों तक फलती-फूलती है। इसके विधिवत पूजन के बाद नवरात्रि के समापन पर इसे विसर्जित कर दिया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सृष्टि की संरचना के समय ज्वार धरती पर उगने वाली पहली फसल थी, इसलिए हर नवरात्रि में इसे उगाने की परंपरा निभाई जाती है।
नवरात्रि में जौ बोने का महत्व
यदि नवरात्रि में बोई गई जौ अच्छे ढंग से विकसित नहीं हो पाती है तो इसे दुर्भाग्य का संकेत समझा जाता है। यही नहीं, इसके रंगों में भी बहुत से रहस्य छिपे रहते हैं।
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- जौ का रंग अगर सफेद हो तो इसे एक बहुत ही शुभ संकेत समझा जाता है। वहीं, जौ अगर काली पड़ जाए या टेढ़ी-मेढ़ी उगने लगे तो इसे एक अशुभ संकेत माना जाता है।
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- अगर जौ का रंग ऊपर से हरा और नीचे से पीला रह जाए तो इसे साल की खराब शुरुआत से जोड़कर देखा जाता है। इसके विपरीत, अगर जौ का रंग नीचे से हरा और ऊपर से पीला रह जाए तो इसे साल की अच्छी शुरुआत, लेकिन बाद में परेशानियों से जोड़कर देखा जाता है।
- जौ अगर हरी और घनी होगी तो समझिए इंसान का समय बहुत अच्छा चल रहा है। ऐसे लोगों के जीवन में कभी धन-संपन्नता की कमी नहीं रहती है। घर में हमेशा खुशनुमा और सकारात्मक माहौल रहता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवरात्रि में उगने वाली जौ का हमारी सुख-समृद्धि से खास संबंध होता है। नवरात्रि में बोई गई जौ जितनी तेजी से फलती-फूलती है, इंसान उतनी ही तेजी से समृद्ध होता है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)