- ओडिशा का श्री जगन्नाथ मंदिर देश के चार धाम में से एक है
- कोरोनावायरस की दूसरे लहर की वजह से बंद कर दिए गए थे भगवान जगन्नाथ के मंदिर के कपाट
- मंदिर प्रशासन ने रथयात्रा का शिड्यूल जारी किया
नई दिल्ली: श्री जगन्नाथ मंदिर ओडिशा के पुरी में है जो चार धाम में से एक है। जगन्नाथ पुरी मंदिर को वैकुंठ कहा गया है जो चार धाम में से एक है। श्रीहरि के आठवें अवतार श्री कृष्ण को समर्पित इस मंदिर को श्रीक्षेत्र, शाक क्षेत्र, नीलांचल, श्री जगन्नाथ पुरी, श्रीपुरुषोत्तम क्षेत्र और नीलगिरी भी कहा जाता है।
कोरोनावायरस की वजह से राज्य सरकार ने लॉकडाउन और कर्फ्यू का आदेश दिया था जिसके वजह से चारधाम समेत कई पवित्र मंदिरों के कपाट को बंद कर दिया गया था। बीते रविवार को श्री जगन्नाथ टेंपल प्रशासन की तरफ से इस साल वार्षिक रथयात्रा को निकालने के लिए एक बड़ा फैसला लिया गया है। बैठक में यह फैसला लिया गया है कि रथ यात्रा में आने वाले सेवकों के पास नेगेटिव आरटी-पीसीआर टेस्ट रिजल्ट होना चाहिए या फिर कोरोना का दोनों टीका लगा होना चाहिए।
कोरोनावायरस की वजह से इस बार रथ यात्रा में एक बड़ा बदलाव देखा जाएगा। दरअसल बैठक में यह फैसला लिया गया है कि इस बार बिना भक्तों के रथ यात्रा निकाली जाएगी। मीटिंग में मौजूद सदस्यों का का मानना है कि भक्तों के जन सैलाब के वजह से कोविड-19 का खतरा और बढ़ सकता है इसीलिए इस पर्व के दौरान सिर्फ सेवक और मंदिर के अधिकारी ही मौजूद रहेंगे।
पूरी जिला के मैजिस्ट्रेट और कलेक्टर समर्थ वर्मा के मुताबिक स्नान यात्रा के पर्व के दौरान जगन्नाथ मंदिर के आस-पास वाले इलाकों में सीआरपीसी के तहत सेक्शन 144 लगाया जाएगा और किसी भी व्यक्ति को मंदिर के सामने ग्रैंड रोड पर एकत्रित होने की इजाजत नहीं दी जाएगी। गौर हो कि स्नान यात्रा एक बेहद पवित्र और प्राचीन परंपरा है जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के स्नान की रस्म निभाई जाती है। पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा दौरान इस रस्म को निभाया जाता है।
स्नान पूर्णिमा की रस्म
इस वर्ष पुरी रथ यात्रा के लिए स्नान पूर्णिमा 24 जून को है। स्नान पूर्णिमा पहंडी के साथ सुबह 01:00 बजे प्रारंभ होगी और 04:00 बजे समाप्त होगी, पहंडी का अर्थ देवताओं की पैदल यात्रा से है।
दान पूर्णिमा के बाद छेरा पहनरा
स्नान पूर्णिमा के बाद छेरा पहनरा की रस्म पुरी के राजा दिब्यासिंह देव द्वारा सुबह 10:30 से शुरू की जाएगी। छेरा पहनरा रस्म के दौरान देवताओं के स्नान स्थल की सफाई की जाती है।
देवताओं को पहनाई जाती है पोशाक
छेरा पहनरा के बाद सुबह 11:00 बजे से लेकर 12:00 बजे तक सभी सभी देवताओं को गजानन बेशा या हती बेशा के साथ सुसज्जित किया जाएगा।
भगवान विष्णु बीमार हो जाते हैं
ऐसा माना जाता है कि स्नान करने के बाद भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा बीमार पड़ जाते हैं इसीलिए उन्हें अनसरा घर ले जाया जाता है।
इस समय होती है देवताओं की वापसी
अनसरा घर यानि बीमार कक्ष में जाने के बाद देवताओं की वापसी शाम 05:00 से 08:00 के बीच होगी अनसरा रस्म देवताओं की वापसी से शुरू होगी और अगले 15 दिनों तक जारी रहेगी।
श्री जगन्नाथ प्रशासन के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर ने मीटिंग के दौरान यह फैसला लिया है कि दर्शनार्थियों और भक्तों के लिए जगन्नाथ मंदिर के कपाट 25 जुलाई को खोले जाएंगे। इसके साथ कोरोनावायरस की समस्या को देखते हुए सभी नियमों का कड़ाई से पालन किया जाएगा और किसी भी तरह की कोताही नहीं बरती जाएगी।