- भगवान श्रीहरि की पूजा करने से घर की विघ्न-बाधाएं दूर होती है
- श्री हरि की सच्चे मन से पूजा आराधना करने से मां लक्ष्मी की प्रसन्न होती है
- शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री हरि की पूजा करने से जीवन के सभी रुके हुए कार्य शीघ्र पूर्ण होते हैं
Om Jai Jagdish Hare Aarti: शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री हरि के कई अवतार हैं। उन्हें इस जगत का पालनकर्ता भी कहा जाता है। पाप और कष्टों से मुक्ति दिलाने वाले भगवान श्री हरि की पूजा भक्ति करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है। शास्त्रों के अनुसार जिन घर में सुबह शाम भगवान श्री हरि का भजन कीर्तन होता है, उस घर में दरिद्रता का वास नहीं होता। वह घर हमेशा खुशियों से भरा रहता है।
यदि आप भगवान श्री हरि की कृपा दृष्टि अपने ऊपर बनाए रखना चाहते हैं, तो सुबह और शाम अपने घर में प्रतिदिन भगवान श्री हरि की आरती जरूर करें। इससे ना केवल आपके मन को शांति मिलेगी बल्कि जीवन में मिलने वाले दुखों का शीघ्र पतन हो जाएगा। यहां आप भगवान श्री हरि की विशेष आरती देख कर पढ़ सकते हैं।
विष्णु भगवान जी की आरती लिखित में, vishnu ji ki aarti in hindi, Om Jai Jagdish Hare aarti hindi,
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट
दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
जो ध्यावे फल पावे
दुःखबिन से मन का
स्वामी दुःखबिन से मन का
सुख सम्पति घर आवे
सुख सम्पति घर आवे
कष्ट मिटे तन का
ॐ जय जगदीश हरे
मात पिता तुम मेरे
शरण गहूं किसकी
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी
तुम बिन और न दूजा
तुम बिन और न दूजा
आस करूं मैं जिसकी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम पूरण परमात्मा
तुम अन्तर्यामी
स्वामी तुम अन्तर्यामी
पारब्रह्म परमेश्वर
पारब्रह्म परमेश्वर
तुम सब के स्वामी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम करुणा के सागर
तुम पालनकर्ता
स्वामी तुम पालनकर्ता
मैं मूरख फलकामी
मैं सेवक तुम स्वामी
कृपा करो भर्ता
ॐ जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर
सबके प्राणपति
स्वामी सबके प्राणपति
किस विधि मिलूं दयामय
किस विधि मिलूं दयामय
तुमको मैं कुमति
ॐ जय जगदीश हरे
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता
ठाकुर तुम मेरे
स्वामी रक्षक तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ
अपने शरण लगाओ
द्वार पड़ा तेरे
ॐ जय जगदीश हरे
विषय-विकार मिटाओ
पाप हरो देवा
स्वमी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
सन्तन की सेवा
ॐ जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट
दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे