- माता यशोदा ने ब्रजवासियों के साथ बनाए थे श्रीकृष्ण के लिए 56 भोग
- जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण को लगाएं 56 व्यंजनों का महाभोग
- श्रीकृष्ण के 56 भोग से जुड़ी है पौराणिक व रोचक कथा
Janmashtami 2022 Shri Krishna 56 Bhog Importance: हिंदू धर्म में होने वाले पूजा-पाठ में सभी देवी-देवताओं को सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण को एक-दो नहीं बल्कि 56 व्यंजनो के भोग लगाए जाते हैं। खासकर जन्माष्टमी के अवसर पर श्रीकृष्ण को 56 भोग अर्पित किए जाते हैं। इसके पीछे कई मान्यताएं और कथाएं प्रचलित है। जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा होती है। क्योंकि जन्माष्टमी का पर्व कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस साल जन्माष्टमी का पर्व गुरुवार 18 जुलाई 2022 को मनाया जाता है। वैसे तो श्रीकृष्ण के संपूर्ण जीवन और अवस्था से जुड़ी अलग-अलग कथाएं प्रचलित है। लेकिन श्रीकृष्ण के 56 भोग से जुड़ी रोचक कथा जान आप अचरज में पड़ जाएंगे। जानते हैं क्या है श्रीकृष्ण के 56 भोग का महत्व और 7 दिन 8 पहर से क्या है इसका संबंध।
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भगवान कृष्ण के 56 भोग से जुड़ी कथा
प्रचलित और पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवतागण इंद्र की पूजा कराने पर विमर्श कर रहे थे। तब भगवान कृष्ण द्वारा इंद्र की पूजा न करके गोवर्धन पूजा के कराए जाने की बात कही। देवतागण भी इसके लिए राजी हो गए। लेकिन देवराज इंद्र नाराज हो गए। तब उन्होंने ब्रजवासियों को माफी मांगने पर विवश करने के लिए खूब वर्षा कराई। इंद्र ने ऐसी वर्षा कराई जिससे ब्रजवासी परेशान हो गए। इंद्र के प्रकोप से पूरे ब्रजवासियों को बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और सभी को पर्वत के नीचे आने को कहा। लगातार 7 दिनों कर श्रीकृष्ण अन्न-जल का त्याग कर पर्वत को हाथ से उठाए रहे। 8 वें दिन इंद्र ने वर्षा बंद कर दी। तब कृष्ण ने ब्रजवासियों को पर्वत से बाहर आने का आदेश दिया। इसके बाद श्रीकृष्ण के लिए 56 भोग बनाए गए थे।
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7 दिन 8 पहर से है श्रीकृष्ण के 56 भोग का संबंध
माता यशोदा अपने कान्हा को एक दिन में आठ पहर भोजन कराती थीं। जब ब्रजवासियों को बचाने के लिए कृष्ण लगातार 7 दिनों तक अन्न-जल त्याग कर गोवर्धन पर्वत उठाए रहे तो ऐसे में मां यशोदा को खूब कष्ट हुआ। इस तरह 7 दिन और 8 पहर के अनुसार माता यशोदा ने ब्रजवासियों संग मिलकर श्रीकृष्ण के लिए 56 भोग तैयार किए। तब से ही श्रीकृष्ण की पूजा में 56 व्यंजनों का महाभोग लगाने की परंपरा शुरू हो गई।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)