- शुक्रवार की रात 9 से 10 बजे के बीच पूजा करें
- कमलगट्टे की माला से मंत्र का जाप करें
- कम से कम 21 शुक्रवार करना होगा उपाय
आर्थिक संकट से उबरने के लिए मां लक्ष्मी की कृपा चाहिए होती है, लेकिन मां लक्ष्मी चंचल हैं। यानी देर तक वो एक जगह नहीं रुकती और यही कारण है कि इंसान के जीवन में आर्थिक स्थिति हमेशा एक समान नहीं रहती है। मां लक्ष्मी को स्थायित्व देने के लिए सच्चे मन और विश्वास के साथ पूजा करनी पड़ती है।
धन का स्थायित्व पाने के लिए शुक्रवार को मां लक्ष्मी कि विशेष पूजा का महत्व है। खास कर इस पूजा को गुप्त तरीके से केवल रात के वक्त किया जाता है। पूजा के साथ मां लक्ष्मी के मंत्रों के जाप और गुप्त पूजा की सफलता आपके आर्थिक संकट को दूर करने में बेहद कारगर साबित हो सकती है। इस दौरान मंत्रों का उच्चारण सही होना चाहिए और पूजन बहुत गोपनीय तरीके से किया जाना चाहिए।
द्वादश आक्षर मंत्र के जाप का महत्व- समुद्र मंथन से पूर्व सभी देवता धन विहीन हो गए थे, तब समुद्र मंथन के बाद देवराज इंद्र ने मां लक्ष्मी की स्तुति की थी। इससे खुश होकर मां ने उनहें वरदान दिया था कि द्वादश आक्षर मंत्र का जाप जो कोई संध्या के समय करेगा उसे वह कुबेर के समान धन और ऐश्वर्य प्रदान करेंगी। महालक्ष्मी के आठ स्वरूप हैं और उनके इन स्वरूपों की आराधना करने वाले को जीवन में कभी आर्थिक संकट नहीं आता। इतना ही नहीं ऐसे व्यक्ति की आयु में वृद्धि होती है और उसे अच्छा स्वास्थ्य, ज्ञान और समाज में सम्मान मिलता है। तो आइए जानें कैसे की जाती है अष्ट लक्ष्मी और उनके मूल बीज मंत्र से पूजा।
अष्ट लक्ष्मी में मां के 8 रूप इस प्रकार हैं-
1. श्री आदि लक्ष्मी –ॐ श्रीं।।
2. श्री धान्य लक्ष्मी –ॐ श्रीं क्लीं।।
3. श्री धैर्य लक्ष्मी –ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।।
4. श्री गज लक्ष्मी –ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।।
5. श्री संतान लक्ष्मी - ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं।।
6. श्री विजय लक्ष्मी यां वीर लक्ष्मी –ॐ क्लीं ॐ।।
7. श्री विद्या लक्ष्मी –ॐ ऐं ॐ।।
8. श्री ऐश्वर्य लक्ष्मी –ॐ श्रीं श्रीं।।
ऐसे करें माता की पूजा-
- अष्ट लक्ष्मी की पूजा शुक्रवार की रात 9 बजे से 10 बजे के बीच की जाती है।
- पूजा के समय केवल गुलाबी रंग के वस्त्र और आसन को धारण करें।
- गुलाबी रंग के वस्त्र पर ही श्रीयंत्र और मां लक्ष्मी की स्थापना करें।
- एक थाल में 8 दिया गाय के घी के जलाएं।
- इसके बाद अगरबत्ती और लाल पुष्प माता को चढ़ाएं।
- मावे की लाल बर्फी का भोग लगाएं।
- इसके बाद अष्ट गंध से श्री यंत्र और अष्ट लक्ष्मी माता को तिलक लगाएं।
- अब कमल गट्टे की माला से 108 बार ‘ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नम: स्वाहा।।’का जाप करें।
- जाप पूरा होने के बाद आठों दीपक को घर के आठ दिशाओं में रख दें।
- अब कमलगट्टे की माला को तिजोरी में रख दें।
हर शुक्रवार को आप यह उपाय करें। कम से कम 21 या 51 शुक्रवार इसे करने का संकल्प लें।
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