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शुरू हो चुका है ज्येष्ठ मास, जानें दान-पुण्‍य विधि और वैज्ञानिक महत्व

Updated May 07, 2018 | 11:09 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

इस बार ज्येष्ठ मास 1 मई को प्रारंभ हो चुका है। ज्येष्ठ मास का हमारी जिंदगी में बहुत महत्‍व है। माना जाता है कि ज्येष्ठ माह पर जो पूर्णिमा पड़ रही हो, उसमें अगर दान और गंगा स्‍नान करें तो उसे बहुत अच्‍छा फल मिलता है। 

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तस्वीर साभार:&nbspThinkstock
Jyeshtha Maasam

नई दिल्‍ली: हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास या जेठ का महीना चंद्र मास के तीसरे महीने में आता है। इसे ज्‍येष्‍ठा नक्षत्र के नाम से भी बुलाया जाता है। इस मास में जल को अधिक महत्‍व दिया जाता है और उससे जुड़े व्रत और त्‍योहार मनाए जाते हैं। इस बार ज्येष्ठ मास 1 मई को प्रारंभ हो चुका है। ज्येष्ठ मास की कृष्‍णपक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी का व्रत रखा जाता है। 

इस व्रत को करने से मनुष्‍य को सभी पुराने पापों से मुक्‍ती मिलती है। ज्येष्ठ मास का हमारी जिंदगी में बहुत महत्‍व है। माना जाता है कि ज्येष्ठ माह पर जो पूर्णिमा पड़ रही हो, उसमें अगर दान और गंगा स्‍नान करें तो उसे बहुत अच्‍छा फल मिलता है। 

इसी मास में वट सावित्री व्रत भी किया जाता है। इस बार यह व्रत 15 मई 2018 को पड़ रहा है। यह व्रत संतान प्राप्‍ति के लिये होता है। स्कंद पुराण तथा भविष्योत्तर पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को यह व्रत करने का विधान है। 

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इसके बाद ज्येष्ठ अमावस्या पड़ रही है, जो किशनि देव की जयंती के रूप में मनाई जाएगी। शनि दोष से बचने के लिये इस दिन लोग कई दान-पुण्‍य करते हैं। इसी वजह से ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है। 

फिर ज्येष्ठ माह की शुक्ल दशमी को लोग गंगा दशहरा मनाते हैं। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। यह व्रत बिना पानी पिए भगवान विष्‍णु के लिये रखा जाता है।  

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जानें, ज्येष्ठ मास का वैज्ञानिक महत्व
इस माह में गर्मी अधिक होने लगती है जिससे शरीर में जल का स्‍तन कम होने लगता है। इस समय पानी का खूब सेवन करना चाहिये जिससे शरीर में पानी की कमी ना हो। इसी के साथ साथस अपने खान पान पर भी ध्‍यान देना चाहिये।

बीमारियों से बचने के लिये बाहर का खाना न खा कर घर का बना सादा भोजन करना चाहिये। अपने आहार में हरी सब्‍जियां, ताजे फल, सत्‍तू और पानी को भरपूर प्रयोग करना चाहिये। साथ ही इस महीने में धूप में ना निकलें और जितना हो सके घर पर ही रहें। 

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