- श्रीकृष्ण को नंद बाबा ने दी थी उनकी प्रिय बांसुरी
- राधा ने मोरपंख और परशुराम ने सुदर्शन चक्र दिया था
- गुरु सांदीपनि ने श्रीकृष्ण को अजितंजय नामक धनुष भेंट किया था
Shri Krishna Janmashtami: भादो की अष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ और उनके जन्मोत्सव को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाने लगा। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कई रूपों में होती है। बालरूप भगवान का जहां वात्सल्य से भरा है, वहीं उनका यौवन प्रेम और समर्ण के साथ न्यायविद के रूप में भी जाना जाता है। भगवान का हर रूप मनमोहक रहा है और यही कारण है कि उन्हें जो भी मिला उनका प्रेमी हो गया। इस प्रेम में भगवान को कई लोगों ने ऐसे उपहार भी दिए, जिसे भगवान कभी खुद से अलग नहीं किए। भागवत, पद्मपुराण, ब्रह्मवैवर्तपुराण, गर्ग संहिता जैसे ग्रंथों में में इन उपहारों का जिक्र मिलता है। तो आइए जानें कि भगवान के प्रिय उपहार उन्हें किसने दिए।
बांसुरी : भगवान श्रीकृष्ण की सबसे प्रिय बांसुरी भगवान शिव ने उन्हें भेंट की थी। हालांकि कुछ ग्रंथों में यह भी वर्णित है कि ये भेंट उन्हें नंद बाबा ने दी थी। बांसुरी ब्रह्मा की मानस पुत्री सरस्वती मानी गई हैं और वह कान्हों को कई जन्मों तक पाने के लिए तपस्या की थीं और यही कारण है कि कृष्ण जी उस बांसुरी को हमेशा अपने होंठों से लगा कर रखते थे।
वैजयंती माला और मोरपंख: भगवान के गले में पड़ी वैजयंती माला और मोरपंख उन्हें जान से भी प्यार थे, क्योंकि ये भेंट उन्हें उनकी प्रेयसी राधा ने भेंट की थी। यही कारण है कि इन दो आभूषणों के बिना कभी भी श्रीकृष्ण नहीं रहते।
शंख और धनुष : श्रीकृष्ण शिक्षा ग्रहण करने के लिए उज्जैन में जब सांदीपनि के आश्रम पहुंचे तो शंखासुर नामक दैत्य ने गुरु के पुत्र को बंदी बना लिया था। श्रीकृष्ण ने गुरु पुत्र को दैत्य से मुक्त कराया था और तब शंखासुर से उन्हें शंख मिला था। इस शंख को पांचजन्य के नाम से जाना जाता है। वहीं उनके गुरु सांदीपनि ने उन्हें अजितंजय नाम का धनुष भेंट किया था।
सुदर्शन चक्र : शिक्षा ग्रहण करने के बाद भगवान कृष्ण की मुलाकात जब विष्णुजी के अन्य अवतार परशुराम से हुई तब परशुरामजी ने उन्हें सुदर्शन चक्र भेंट किया था। सुदर्शन चक्र शिवजी ने त्रिपुरासुर का वध करने के लिए निर्मित किया था और बाद में इसे विष्णु जी को दिया था। तो ये उपहार जो उन्हें सबसे अभिन्न थे, उनके सबसे और अभिन्न लोगों से मिले थे।