- साईं के पाठ या मंत्र को शाम के समय करना प्रभावकारी होता है
- साईं बाबा की विशेष पूजा का दिन गुरुवार को माना गया है
- हर तरह के कष्ट से श्री सत्य शरण पञ्चकम् का पाठ बचाता है
साईं बाबा की पूजा का विशेष दिन गुरुवार है और इस दिन साईं को प्रसन्न करने के लिए आप कई उपाय कर सकते हैं। शिरडी वाले साईं बाबा की पूजा मनुष्य यदि निर्मल मन से करता है तो उसकी मुराद जरूर पूरी होती है। जीवन में कई बार ऐसी परेशानियां आ जाती हैं, जिससे इंसान का सुख और चैन चला जाता है। मानसिक कष्ट और शारीरिक कष्ट से आप जूझ रहे तो आपको साईं के शरण में जरूर आना चाहिए। साईं अपने भक्तों के कष्ट को अपने ऊपर लेने वाले माने गए हैं। साईं के द्वार पर आकर जिसने भी अपने कष्ट कहें हैं, उसका दर्द जरूर दूर हुआ है। इसलिए साईं को सच्चे मन से याद कर लेना ही काफी है।
ऐसे करें श्री सत्य शरण पञ्चकम् का पाठ
साईं अपने भक्तों के प्रेम के प्यासे हैं और सच्चे मन से यदि भक्त उन्हें याद करते हैं, तो वह अपने भक्ते के हर कष्ट को दूर कर देते हैं। गुरुवार को साईं की पूजा करते समय यदि आप श्री सत्य शरण पञ्चकम् का पाठ कर लें तो समझ लें कि आपके कष्ट और दुख चमत्कारिक रूप से दूर हो जाएंगे। गुरुवार के दिन साईं की पूजा करने के बाद शाम के समय यह पाठ करें। इस पाठ को करने के लिए साईं की तस्वीर या प्रतिमा के समक्ष एक दीप जला लें और इसके बाद शांत मन से उनका स्मरण करें और उसके बाद श्री सत्य शरण पञ्चकम् पाठ करें।
श्री सत्य शरण पञ्चकम् पाठ के लाभ
- आप मानिसक कष्ट से जूझ रहे तो आपको इस पाठ को करने से बहुत लाभ मिलेगा।
- आपकी नौकरी या व्यवसाय में दिक्कत आ रही तो आपको इस पाठ को रोज करना चाहिए।
- आपके स्वास्थ्य में दिक्कत है तो आपको रोज शाम के समय इस पाठ को करना चाहिए।
- आपके शत्रु बहुत ज्यादा है तो आपको इस पाठ को करने से पहले हनुमान बाण का भी पाठ करना चाहिए।
- श्री सत्य शरण पञ्चकम् पाठ करने से संतान की कामना भी पूरी होती है।
श्री सत्य शरण पञ्चकम्
दुर्वारदुर्विषहदुःखशताभिघातै- र्दूरार्दितस्य भगवन्, मनसो गतिस्त्वम्।
दिष्ट्याद्य दिव्यकरुणावरुणालयं तं त्वां सत्यसायिभगवन्, शरणं प्रपद्ये॥१॥
मन्दस्मितातिरमणीयमुखारविन्दं कारुण्यवर्षकमनीयकटाक्षपातम्।
शान्तिप्रदं भृशमशान्तहृदन्तराणां त्वां सत्यसायिभगवन्, शरणं प्रपद्ये॥२॥
भूयासमुत्सुकमतिर्भगवत्पदाब्ज- सेवासु भागवतसङ्कथनोत्सवेषु।
न स्यां दुरन्ततरभौतिकसौख्यमग्न- स्त्वां सत्यसायिभगवन्, शरणं प्रपद्ये॥३॥
नित्यं स्वधर्मवशकर्ममयप्रसूनै- रत्यन्तपावनतरैः परिपूज्य च त्वाम्।
सत्यां प्रशान्तिमुपगच्छतु जीवितं मे त्वां सत्यसायिभगवन्, शरणं प्रपद्ये॥४॥
दिव्यानुभाव, दयया शिशिरीकुरुष्व दीनं भवच्चरणदासममुं महात्मन्।
त्वद्दर्शनामृतकणास्वादनैकतृप्त- स्त्वां सत्यसायिभगवन्, शरणं प्रपद्ये॥५॥
श्री सत्य शरण पञ्चकम् पाठ हमेशा शांत मन से करें और संध्या के समय करें। इससे इस का लाभ तेजी से मिलता है।