- आज कठिन प्रतियोगिता का युग है। पूरे विश्व में तकनीकी तथा आर्थिक प्रतियोगिता है
- सरस्वती मन्त्र तथा सरस्वती वंदना अवश्य करें। यह छात्र तथा गुरु दोनों के लिए आवश्यक है
- जन्मकुंडली के पंचम भाव तथा पंचमेश की पूजा तथा रत्न धारण करने से विद्या में वृद्धि होती है
छात्र तथा शिक्षक देश के आधार हैं। छात्रों का ज्ञान ही उनको आगे बढ़ाता है। बच्चे अनुशासित हों, संस्कारिक हों, उच्च कोटि के विद्वान हों तथा समाज के लिए सकारात्मक कार्य करें, ऐसे छात्रों की देश की आव्यशकता है। आज कठिन प्रतियोगिता का युग है। पूरे विश्व में तकनीकी तथा आर्थिक प्रतियोगिता है।
ऐसे में छात्रों तथा टीचर्स के लिए कुछ ज्योतिषीय टिप्स दिये जा रहे हैं जो उनकी सफलता का कारण बन सकते हैं। ज्योतिषाचार्य सुजीत जी महाराज के अनुसार निम्न उपाय के द्वारा छात्रों का अधिगम तथा शिक्षक की टीचिंग टेक्निक बढ़ सकती है-
पढ़ाई-लिखाई में सफलता के शास्त्रीय उपाय
- प्रतिदिन ब्रम्ह मुहूर्त में अवश्य उठना चाहिए। इस समय थोड़ी देर भगवान का ध्यान करके पढ़ना चाहिए।
- उदित सूर्य को जल अर्पित करें। यह काम टीचर को अवश्य करना चाहिए।
- प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने से शारीरिक तथा मानसिक विकास होता है। छात्र तथा शिक्षक को प्रतिदिन अनिवार्यतः सूर्य नमस्कार करना चाहिए। कुछ विद्यालयों में तो यह प्रतिदिन अनिवार्य रूप से होता है।
- गायत्री मंत्र के जप से अधिगम बढ़ता है। कम से कम 21 बार गायत्री मंत्र का जप अवश्य करना चाहिए।
- माता सरस्वती विद्या की देवी हैं। सरस्वती मन्त्र तथा सरस्वती वंदना अवश्य करें। यह छात्र तथा गुरु दोनों के लिए आवश्यक है।
- सात्विक भोजन करें। भोजन में तेल तथा मसाले का प्रयोग कम करें। फल का सेवन करें। दूध, दही, हरी सब्जी तथा शाकाहारी भोजन मन मस्तिष्क को कुशाग्र बनाता है।
- जन्मकुंडली के पंचम भाव तथा पंचमेश की पूजा तथा रत्न धारण करने से विद्या में वृद्धि होती है क्योंकि पंचम भाव शिक्षा का होता है।
- प्रतिदिन प्रातः काल उठकर माता पिता का चरण स्पर्श करें।
उपर्युक्त बातों को सहृदय आत्मसात करने तथा उनके पालन करने से छात्र अपने एजुकेशनल कैरियर में तथा टीचर भी अपने अध्यापन में सफलता की प्राप्ति करते हैं।
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