शनि का बुरा प्रकोप बहुत ही खतरनाक होता है ये इंसान को अंदर तक तोड़ कर रख देता है। मान-सम्मान, धन प्रतिष्ठा ही नहीं शारीरिक-मानिसक रूप से इंसान टूट जाता है। शनि के अशुभ प्रभाव के लक्षण व्यक्ति को पहले ही मिलने लगते हैं अगर इन संकेतों की पहचान कर पहले ही भगवन शनि देव की नाराजगी दूर करने का प्रयास शुरू कर दिया जाए तो प्रकोप का असर कम होता जाता है।
एक बात ध्यान रखें कि शनि का प्रकोप इतना गंभीर होता है कि उसे किसी भी तरह से खत्म तो नहीं किया जा सकता लेकिन उनकी पूजा-पाठ के जरिये उस प्रकोप के प्रभाव को कम कर सकते है। शनि का प्रकोप अगर ढाई या साढ़े सात साल है तो वह समय उतना ही रहेगा और उपाय उतने ही साल करने होंगें। आइए जानें कि क्या कुछ संकेत शनि के बुरे प्रभाव के मिलते हैं।
मिलने लगे ऐसे संकेत तो समझ लें ढैय्या या साढ़ेसाती होने वाली है शुरू
1. प्रॉपर्टी से जुड़े विवाद अचानक से खड़े हो जाएं।
2. पारिवारिक मदभेद और भाई-बहनों से विवाद होने लगें।
3.किसी के साथ आपका अनैतिक संबंध हो जाए और आप उ में फंस जाएं।
4. अचानक से कर्ज लेने की नौबत और ये कर्ज बढ़ता ही जाएं।
5. कोर्ट के चक्कर लगने शुरू होना।
6. नौकरी पर खतरा , परेशानी या किसी अनचाही जगह पोस्टिंग हो जाए।
7. तमाम मेहनत और लगन के बाद भी प्रमोशन न मिलना।
8. शराब, बुरी संगत या झूठ के सहारे जीने की आदत ।
9. बिजनेस में अचानक से घाटा शुरू हो जाना।
10.छोटी-छोटी दुर्घटना का बार-बार शिकार होना।
इन उपाय से शनि के बुरे प्रकोप से बच सकते हैं
पीपल के पेड़ में जल चढ़ाना और शाम के समय तिल के तेल का दिया जलाना तुरंत शुरू कर दें। शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा जरूर करें। रविवार को छोड़कर हर दिन आप ये पूजा कर सकते हैं। याद रखें पीपल के पेड़ की पूजा या तो सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद ही करनी चाहिए। अगर आप सुबह करना चाहते हैं तो सूरज उगने से पहले स्नान करके सफेद वस्त्र पहन कर पीपल के पेड़ में गाय का दूध, तिल और चंदन मिला कर पवित्र जल अर्पित करें। जल अर्पित करने के बाद जनेऊ, फूल और प्रसाद चढ़ाएं। इसके बाद धूप, दीप जलाकर आसन पर बैठकर अपने ईष्ट देवी-देवताओं का स्मरण करें और इस मंत्र का जाप जरूर करें।
मूलतो ब्रह्मारूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे
अग्रतः शिवरूपाय वृक्ष राजाय ते नमः
आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसंपदम्
देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:
मंत्र जप के बाद कपूर और लौंग जलाकर पीपल के पेड़ की आरती करें और फिर प्रसाद ग्रहण करें। प्रसाद में मिठाई या शक्कर चढ़ा सकते हैं।
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