- देवी पार्वती की पूजा-अर्चना से शिवजी भी प्रसन्न होते हैं
- देवी पार्वती के सिद्ध मंत्र से जीवन की हर खुशियां मिल सकती हैं
- सावन मास में शिवजी के साथ उनके परिवार की पूजा जरूर करें
सावन मास में शिवजी की पूजा के साथ ही यदि शिव परिवार की पूजा भी की जाए तो इससे प्रभु शंकर बेहद प्रसन्न होते हैं। सावन मास के हर मंगलवार को मंगला गौरी और बुधवार को गणपति जी की पूजा का विशेष महत्व होता है। वहीं यदि शुक्रवार के दिन देवी पार्वती के सिद्ध मंत्र का जाप भी कर लिया जाए तो जीवन की ऐसी कोई मनोकामना नहीं होंगी जो पूर्ण न हो सके। शुक्रवार का दिन देवी शक्ति का होता है और देवी पार्वती भी शक्ति का रूप हैं। इसलिए सावन मास में देवी पार्वती की पूजा करने से शिवजी भी प्रसन्न होते हैं। देवी पार्वती के इस मंत्र का जाप कुंवारी कन्याओं को भी जरूर करना चाहिए।
भागवत पुराण में देवी पार्वती को दुर्गा और काली का रूप माना गया है। मां पार्वती दया, कृपा और करुणा की देवी मानी गईं हैं। सावन मास में शुक्रवार के दिन देवी पार्वती की पूजा करना बहुत शुभदायक होता है। देवी की पूजा में श्रृंगार के सामान और लाल पुष्प अर्पित करने चाहिए। साथ ही इस दिन उन्हें खीर और मिठाई का भोग लगाएं। याद रखें की देवी की पूजा कभी अकेले न करें। शिवजी के साथ देवी की पूजा होती है, तभी वह पूर्ण मानी जाती है। देवी पार्वती की को भगवान शिव के बायीं तरफ स्थापित करना चाहिए। इसके बाद देवी को वस्त्र अर्पित करें और पुष्पमाला अर्पित करें। इत्र लगाकर तिलक करें। धूप और दीप और फूल-अक्षत आर्पित कर उनके समक्ष घी या तेल का दीपक जलाएं। इसके बाद आरती करें और नेवैद्य अर्पित करें। अब देवी के पास शांत चित से बैठ कर उनके सिद्ध मंत्रों का जाप करें।
देवी के इन सिद्ध मंत्रों का करें जाप
ऊँ उमामहेश्वराभ्यां नमः और ऊँ पार्वत्यै नमः ।
शिव-पार्वती को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्र को जपें
ऊँ साम्ब शिवाय नमः और ऊँ गौर्ये नमः।
घर में सुख-शांति के लिए इस विशेष मंत्र को जपें
मुनि अनुशासन गनपति हि पूजेहु शंभु भवानि।
कोउ सुनि संशय करै जनि सुर अनादि जिय जानि।।
मनपसंद वर पाने के लिए सिद्ध मंत्र जपें
हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया।
तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।।
कार्य सिद्ध के लिए यह है खास मंत्र जपें
ऊँ ह्लीं वाग्वादिनी भगवती ममं कार्य सिद्धि कुरु कुरु फट् स्वाहा।
देवी पार्वती के ये मंत्र सावन में ही नहीं कभी भी जपे जा सकते हैं। सावन मास में जपने से इसके पुण्य लाभ अधिक मिलते हैं।