- बृहस्पतिवार को भगवान विष्णु का दिन माना जाता है
- ग्रहों को मजबूत करता है 16 गुरुवार का व्रत
- गुरुवार के दिन व्रत करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं
हिंदू धर्म के अनुसार किसी भी स्त्री और पुरुष के लिए व्रत रखना बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण कार्य माना जाता है। भारतीय संस्कृति में व्रत का चलन सदियों से चला रहा है जहां लोग अपनी अलग-अलग इच्छाओं के अनुसार तरह-तरह के व्रत करते रहते हैं। लेकिन बृहस्पतिवार का व्रत इन सब साप्ताहिक व्रतों में सबसे ऊपर माना गया है।
बृहस्पतिवार को भगवान विष्णु का दिन माना जाता है और यह मान्यता है कि इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को कभी भी आर्थिक शारीरिक और मानसिक हानि नहीं पहुंचती है। तो आइए जानते हैं इस व्रत को करने की पूरी विधि और इससे होने वाले लाभ।
कब करना चाहिए गुरुवार का व्रत (When to start Thursday fast)
इस व्रत को आप किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार को उठा सकते हैं। हमारे शास्त्रों में किसी भी शुभ काम को करने का सबसे उत्तम तिथि शुक्ल पक्ष को ही माना गया है। लेकिन आपको इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि पूष माह में यह व्रत ना उठाएं। पूष या पौष का महिना अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार दिसंबर या जनवरी में पड़ता है। इस महीने को शास्त्रों के अनुसार उतना शुभ नहीं माना जाता।
लगातार 16 गुरुवार तक रखना होता है व्रत (16 Brihaspati ke vrat)
यह व्रत बहुत ही पवित्र होता है इसलिए आप इस व्रत को तभी उठाएं जब आप पूरी शुद्धता के साथ इसे पूरा कर सकें। मान्यताओं के अनुसार, लगातार 16 गुरुवार तक इस व्रत को करना होता है उसके बाद 17 वें गुरुवार को इसका उद्यापन कर देना होता है। महिलाओं को मासिक धर्म के समय इस व्रत को करने से बचना चाहिए।
क्या है गुरुवार व्रत की विधि (Brihaspati ke vrat ki vidhi)
इस व्रत को करने के लिए आपके पास चने की दाल, गुड़, हल्दी, केले, एक दो उपले और हवन करने की सामग्री होनी चाहिए। साथ में भगवान विष्णु की फोटो और अगर केले का पेड़ मिल जाए तब तो सबसे उत्तम। व्रत वाले दिन सुबह सवेरे उठकर स्नान और नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर भगवान के सामने बैठ जाएं उनकी तस्वीर को अच्छी तरह से साफ करें, उन्हें पीले फूल और चावल चढ़ाएं, साथ में भगवान को एक छोटा सा पीला वस्त्र अर्पण करें और 16 गुरुवार के व्रत का संकल्प लें।
अब अपने जल वाले लुटिया में थोड़ी सी हल्दी थोड़ा सा गुड थोड़े से चने की दाल डालकर केले के पेड़ को अर्पण करें और भगवान विष्णु की प्रार्थना करें। हवन के लिए गाय के उपले पर देसी घी डालकर अग्नि प्रज्वलित करें और उसमें हवन की सारी सामग्री डालकर ॐ गुं गुरुवे नमः मंत्र का जाप करें। बाद में भगवान की फोटो पर गुड़ और चने की दाल का भोग लगाएं और इस गुड़ और चने की दाल के प्रसाद को पूजा के बाद सभी लोगों में बांट दें। पूजा के वक्त भगवान की फोटो पर हल्दी और चंदन से तिलक करना ना भूलें।
बृहस्पति व्रत करने से क्या होते हैं लाभ (Thursday fast benefits/ laabh)
- गुरुवार के दिन व्रत करने से घर में कभी भी आर्थिक समस्याएं नहीं उत्पन्न होती।
- घर में कभी भी भोजन की कमी नहीं होती।
- अगर आप छात्र जीवन में है तो यह व्रत आपको अच्छी सफलता दिलाता है।
- कुंडली में गुरु की दशा को सही करने में मदद मिलती है।
- घर में कलेश लड़ाई झगड़े खत्म होते हैं।
- शादी में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
- मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
- मानसिक और शारीरिक विकारों से मुक्ति मिलती है।
- मां लक्ष्मी हमेशा प्रसन्न रहती हैं।
बृहस्पतिवार के दिन क्या नहीं करना चाहिए (What not to do on Thursday)
- भूलकर भी बालों में तेल ना लगाएं।
- बृहस्पतिवार के दिन साबुन और शैंपू का इस्तेमाल ना करें।
- बाल दाढ़ी गुरुवार के दिन नहीं कटवाना चाहिए।
- इस दिन धोबी को कपड़े देने से बचें।
- अगर आपका व्रत है तो नमक और खट्टी चीजें खाने से बचें।
- इस दिन पीले रंग की वस्तु किसी से लेने से बचें।
- अगर आप गुरुवार का व्रत रखते हैं तो घर में इस दिन मांसाहार और शराब का सेवन किसी को ना करने दें।
कैसे करें बृहस्पतिवार के व्रत का उद्यापन (Thursday fast udyapan vidhi)
जब आपका 16 गुरुवार का व्रत पूरा हो जाए तब 17 वें गुरुवार को विधिवत तरीके से पूजा पाठ करके किसी ब्राह्मण को पूजा सामग्री और अपने सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा देकर इस व्रत का उद्यापन कर सकते हैं। पूजा करते वक्त भगवान विष्णु से प्रार्थना करें कि आपने संकल्प के अनुसार अपने 16 गुरुवार का व्रत पूरा कर लिया है और भगवान विष्णु आप पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें। इस व्रत के उद्यापन के दिन आप गरीबों को दान देकर उन्हें भोजन भी करा सकते हैं।