- घर पर भूलकर भी नहीं रखें ताजमहल
- वास्तु दोष से घर पर उत्पन्न होती है कई बाधाएं
- घर से हिसंक तस्वीरों को आज ही निकाल दें बाहर
Vastu Tips For Home Showpiece: घर को सुंदर और आकर्षक दिखने के लिए हम कई तरह की चीजों से घर को सजाते हैं। हम घर पर स्टेच्यु, पेटिंग्स और शोपीस भी रखते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर पर रखी हर वस्तु का सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सकारात्मक ऊर्जा मनुष्य की तरक्की और खुशहाली का कारण बनती है तो वहीं नकारात्मक ऊर्जा बाधा का कारण बनती है। वास्तु शास्त्र में कुछ खास शोपीस के बारे में बताया गया है जिसे घर पर नहीं रखना चाहिए। इन शोपीस से आपका घर भले ही सुंदर दिखे। लेकिन ये शोपीस बर्बादी का कारण बनते हैं। जानते हैं वास्तु के अनुसार किन शोपीस को घर पर रखने से वास्तु दोष होता है।
ये शोपीस बनते हैं वास्तु दोष का कारण ( Vastu Dosh)
जंगली जानवरों की पेंटिंग
कहा जाता है कि व्यक्ति जिस चीज को देखता है वह वैसा ही बन जाता है। इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि जंगली जानवरों और हिंसक जानवरों की तस्वीर या शोपीस को घर में सजावट के रूप में कभी भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इस प्रकार की शोपीस नकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है जोकि घर में खुशहाली और तरक्की के लिए घातक सिद्ध हो सकती है।
ऐसे पक्षियों को माना जाता है अशुभ
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में गिद्ध, बाज, चमगादड़, कौवा और उल्लू जैसे पंछियों की शोपीस या तस्वीर सजावट के रूप में न रखें। शास्त्रों में भी बताया गया है कि हिंसक पशु-पक्षियों को देखने से घर में रखने वाले सदस्यों में हिंसक प्रवृत्ति आ जाती है और परिवार के लोगों के बीच कलह-क्लेश का माहौल होता है। इसलिए ऐसे शोपीस आज ही घर से हटा दें।
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ताज महल
ताज महल की खूबसूरती के कारण भले ही उसे सातवां अजूबा कहा गया है। लेकिन इसे घर पर कभी भी न रखें। क्योंकि ताजमहल मुमताज की कब्र है। हिंदू धर्म अनुसार घर पर कब्र या समाधि जैसे शोपीस अशुभ माने गए हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, ताजमहल एक मकबरा है और ऐसे शोपीस से नेगेटिविटी आती है।
डूबती हुई चीज
वास्तु शास्त्रों में डूबती हुई चीज को पतन और हार का प्रतीक माना गया है। इसलिए डूबती हुई नाव या डूबते हुए सूरज की पेन्टिंग भी घर पर न रखें। ऐसी मान्यता है इससे खुशहाली और तरक्की में बाधा उत्पन्न होती है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)