- विदुर के अनुसार धन कमाने से ज्यादा बचाना महत्वपूर्ण है
- ईमानदारी से कमाया गया धन स्थायित्व पाता है
- धन का प्रयोग सोच-समझ कर कराना चाहिए
धन ऐसी चीज है जो स्थाई रूप नहीं रहता, लेकिन कुछ लोगों के पास धन का स्थायित्व नजर आता है। जिनके पास धन का स्थायित्व होता है, उनमें बस खासयित यह होती है कि वह धन को सहेजना जानते हैं। धन कमाना आसान है, लेकिन उसे बचाना उतना ही कठिन। विदुर नीति में इस बात का जिक्र है कि धन को बचाने के लिए चार मुख्य बातों का पालन मनुष्य को जरूर करना चाहिए। जो इंसान इन चार बातों को अपने जीवन में अमल करते हैं, उन्हें धन की कमी कभी नहीं होती और उनका धन कभी बर्बाद भी नहीं होता। तो आइए विदुर के कहे इस श्लोक के माध्यम से जानें क्या हैं ये चार मुख्य बातें।
श्रीर्मङ्गलात् प्रभवति प्रागल्भात् सम्प्रवर्धते। दाक्ष्यात्तु कुरुते मूलं संयमात् प्रतितिष्ठत्ति।।
Vidur Niti Ke Anusar aise bacha sakte hain dhan
1.सुकर्म करें
किसी भी मनुष्य के पास लक्ष्मी का आगमन तभी होता है जब वह सुकर्म करता है। लक्ष्मी चंचल हैं और यदि उन्हें ऐसा लगता है कि धन का सही सदुपयोग नहीं हो रहा तो वह वहां से निकल जाती हैं। इसलिए धन हमेशा ईमानदारी और परिश्रम के जरिये ही कमाना चाहिए। परिश्रम से कमाए धन की लोगों को कीमत भी होती है।
1.बचाने का गुण
विदुर ने अपनी नीतियों में इस बात का जिक्र किया है कि धन कमाने से ज्यादा धन को बचाने का गुण इंसान में होना चाहिए। धन संचय करना हर इंसान के लिए जरूरी होता है। इसके लिए सही प्रबंधन का ज्ञान होना चाहिए। धन का एक हिस्सा बचत के नाम पर निकालना जरूरी होता है।
3.सोच कर खर्च
विदुर ने तीसरे तरीके में धन बचाने का नुस्खा चतुराई को बताया है। उनके अनुसार धन को जो चतुराई से यानी सोच-समझकर खर्च करता है, उसके पास धन हमेशा रहता है। लेकिन जो भी आय से ज्यादा व्यय करता है उसके पास धन नहीं बच पाता।
4.संयमित हो कर खर्च
विदुर ने धन बचाने का चौथा उपाय संयम बताया है। विदुर नीति बताती है कि जिस इंसान के अंदर मानसिक, शारीरिक और वैचारिक संयम होता है, वह धन को बचाने में सक्षम होता है। धन संयमित हो कर खर्च करना चाहिए, ताकि विपरीत स्थितियों में धन का संकट खड़ा न हो।