- क्रोधी लोगोंं से दोस्ती करना हानिकारक हो सकता है
- अति साहसिक मित्र दूसरों की जान खतरे में डाल सकता है
- धर्महीन मित्र के कर्मों का फल उसके मित्र को भी भोगना होता है
विदुर ने अपनी गूढ़ बौधिक क्षमता के बल से न केवल महाभारत के होने का अंदेशा हो गया था,बल्कि वह यह भी कब जानते थे कि युद्ध होने पर कौरव ही मुंह के खाएंगे। अपना ज्ञान और छठीं इंद्रियो से वह अच्छी तरह से जानते थे कि कौन मित्रता के काबिल है और कौन विश्वास योग्य। उन्होंने यह सब कुछ महाराजा धृतराष्ट्र को भी समझाया था,लेकिन पुत्र मोह में वह विदुर जैसे महान ज्ञानी की बातों को भी नकारते गए।
विदुर की नीतियां हस्तिनापुर के हित के लिए जरूर थीं, लेकिन उन नीतियों का पालन पांडवों ने किया और वह युद्ध में विजयी हुए। विदुर अपने ज्ञान के आधार पर अपनी नीतयों को स्थापित किए और इसी क्रम में उन्होंने मनुष्य को सलाह दी की पांच तरह के लोग दोस्ती के लायक नहीं होते, और उनकी पहचान ऐसे करनी चाहिए।
Vidur Niti ke Anusar Kaise logon se naa karein dosti :
1. अभिमानी : जिनके अंदर कूट-कूट कर अभिमान या घमंड भरा हो, वह दोस्ती के लायक कभी नहीं हो सकते। जिस व्यक्ति में अपने धन, पद, गरिमा या रसूक होने का घमंड होता है, वह दोस्ती कभी नहीं निभा सकते हैं। ऐसे लोग दोस्ती के नाम पर खतरा होते हैं, क्योंकि ये अपने घमंड के आगे दूसरों को कुछ नहीं समझते। ये दोस्ती को भी अपने रसूक से नापते हैं।
2. मूर्ख: जिन लोगों के पास ज्ञान का अभाव हो अथवा जो मूर्खता पूर्ण बात करते हों, उनसे भी दोस्ती नहीं करनी चाहिए, क्योंकि ऐसे लोग अपनी मूर्खता से नुकसान ही पहुंचाते हैं। इनकी मूर्खता की बार जानलेवा भी हो सकती है। ये अपनी मूर्खता से गोपनीय बातों को खोल सकते हैं। इसलिए ऐसे लोगों से दूरी भली है।
3. क्रोधी : क्रोध इंसान को सही और गलत सोचने की क्षमता को खत्म कर देता है। इसलिए यदि कोई व्यक्ति क्रोधी है तो वह मित्रता के काबिल नहीं हो सकता। ऐसे व्यक्ति अपने क्रोध के आगे अपनी दोस्ती भी कुर्बान कर सकते हैं। इनके क्रोध के आगे दोस्त, रिश्ते सब कुछ खत्म हो सकते हैं।
4. अति साहसिक : अति साहसिक या बातों में आ कर कुछ भी कर गुजरने वालों से भी दोस्ती नहीं करनी चाहिए, क्योंकि ऐसे लोग भावावेश में आकर कुछ भी कर सकते हैं। अथवा अति साहसिक कृत्य के चक्कर में दूसरों की जान भी खतरे में डाल सकते हैं।
5. धर्महीन : जिसके अंदर अपने धर्म और संस्कृति के प्रति प्रेम व आदर भावना नहीं होती, वह मित्रता के नाम पर कलंक होते हैं। धर्महीन लोग अपने साथ अपने मित्र को भी मुसीबत में डाल सकते हैं, क्योंकि धर्म की हानि करने से ये चूकते नहीं हैं। ऐसे में इनके साथ रहने वाले भी इनकी करनी का फल भोगते हैं। इसलिए ऐसे लोगों से दोस्ती नहीं करनी चाहिए।