- विनायकी चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश की विधि विधान से पूजा करने पर व्यक्ति को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है
- ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक विनायकी श्री गणेश चतुर्थी के दिन श्री गणेश की पूजा दोपहर या मध्याह्न में करनी चाहिए
- विनायक चतुर्थी पर मंत्रों का जाप जरूर करें बनेंगे बिगड़े काम
Vinayak Ganesh Chaturthi 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायकी श्री गणेश चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन को वरद विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी यानी विनायक चतुर्थी 3 जुलाई को पड़ रहा है। विनायक चतुर्थी पर भगवान श्री गणेश जी की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री गणेश की विधि विधान से पूजा करने पर व्यक्ति को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक विनायकी श्री गणेश चतुर्थी के दिन श्री गणेश की पूजा दोपहर या मध्याह्न में करनी चाहिए। यह समय भगवान गणेश की वंदना के लिए शुभ समय होता है। इस दिन व्रत व पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा करते वक्त मंत्रों का उच्चारण करने से भगवान श्री गणेश प्रसन्न होकर व्यक्ति को सुख समृद्धि, धन दौलत व ज्ञान बुद्धि का फल देते हैं। आइए जानते हैं कैसे करें भगवान श्री गणेश की पूजा, व्रत और मंत्रों के बारे में।
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ऐसे करें पूजा व व्रत
चतुर्थी के दिन सुबह उठकर घर की साफ सफाई के बाद स्नान करें। इस दिन स्नान करते वक्त पानी में थोड़ी गंगाजल डालें। इसके बाद लाल रंग के साफ कपड़े पहनें। पूजा घर में श्रीगणेश जी का मन ही मन ध्यान कर चतुर्थी व्रत का संकल्प करें। दोपहर में गणेश जी का विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। पूरब या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा आसन पर बैठें और गणेश जी प्रतिमा स्थापित करें। गणपति को जल, अक्षत, पुष्प, रोली, फल, मोदक, दुर्वा और पंचामृत अर्पित करें। षोडशोपचार पूजन के बाद श्री गणेश की आरती करें और उनको सिन्दूर चढ़ाएं।
पूजा करते वक्त इस मंत्रों का करें जाप
ॐ गं गणपतये नमः
गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।
नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)