कल्पसूत्र आगमग्रंथों में सर्वाधिक उपकारी ग्रंथ है जिसे सुनने वाले भवसागर से पार हो जाते हैं। पहले कल्पसूत्र को केवल साधु संत ही सुना करते थे लेकिन अब इसे गृहस्थ जीवन में व्यस्त लोग भी सुनते हैं। इस ग्रंथ को सुनने भर से ही लोग दुखों से मुक्त हो जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। मालूम हो कि कल्पसूत्र जैन धर्म का पवित्र ग्रंथ है।
कहा जाता है कि कल्पसूत्र की रचना करने भर से जैन समाज का इतिहास अमर हो गया है। कल्पसूत्र के रचयिता भद्रबाहु हैं। आठ दिवसीय पर्यूषण पर्व के समय जैन साधु एवं साध्वी कल्पसूत्र का पाठ एवं व्याख्या करते हैं। इस ग्रंथ का बहुत अधिक महत्व इसलिए भी माना जाता है क्योंकि इसका वाचन केवल साधु या साध्वी ही करते हैं।
कल्पसूत्र में पांच शुभ घटनाओं को दर्ज किया गया है जिसमें स्वर्ग, जन्म, दीक्षा, सर्वज्ञता प्राप्त करना और मृत्यु शामिल है।
कल्पसूत्र को आम तौर पर मठ के पुस्तकालयों में रखा जाता है। इसे वर्ष में एक बार पीयूषन पर्व के दौरान एक जुलूस में निकाला जाता है और इसे भिक्षुओं द्वारा हवन से पहले पढ़ा जाता है। कल्पसूत्र को पर्यूषण पर्व के दौरान सुनने का बहुत महत्व है। यह आम तौर पर महावीर जन्म वंचन में पौरुष महोत्सव के पांचवें दिन पढ़ा जाता है।