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क्या है Mahalaya पर्व जिसकी बिग बी ने दी बधाई, इस बार दुर्गा पूजा और महालया में इतना अंतर क्यों?

Mahalaya 2020
Updated Sep 17, 2020 | 15:57 IST

What is Mahalaya: महालया का पर्व इस बार 17 सितंबर को शुरू हुआ है, जिसकी महानायक अमिताभ बच्चन ने बधाई भी दी है। हालांकि साल 2020 में यह त्यौहार हर वर्ष की अपेक्षा कुछ अलग है।

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Mahalaya 2020Mahalaya 2020
तस्वीर साभार:&nbspTwitter
महालया 2020
मुख्य बातें
  • आम तौर पर महालया के 7 दिन पर शुरू होती है दुर्गा पूजा
  • इस बार महालया के बाद लगेगा 1 महीने से ज्यादा का समय
  • जानिए क्या है यह पर्व और इस बार दुर्गा पूजा में इतनी देरी क्यों?

मुंबई: 2020 कई वजहों से इस बार एक बेहद अलग साल साबित हुआ है। कोरोना वायरस महामारी दुनिया में फैलने और इससे जुड़े कई पहलुओं की वजह से दुनिया में परिस्थितियां एक दम ही बदल गईं। इस साल त्यौहार भी कुछ अलग अंदाज में मनाए जा रहे हैं। मौजूदा समय में बंगाली पर्व महालया दुर्गा पूजा से एक महीने से भी ज्यादा पहले 17 सितंबर को शुरू हो रहा है। इस मौके पर बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने भी 'शुभो महालया' लिखते हुए इसकी बधाई दे दी है।

महालया के इस बारे दुर्गा पूजा से अलग मनाए जाने के पीछे कुछ कारण हैं। बंगाली में महालया का मतलब है कि इंतजार लगभग खत्म हो चुका है। दुर्गा पूजा उत्सव आम तौर पर महालया के सात दिन बाद शुरू होता है। इसलिए, स्पष्ट है कि उत्साह भी बढ़ा रहता है। हालांकि 2020 में महालया आज है और दुर्गा पूजा समारोह इसके 35 दिनों बाद 22 अक्टूबर से 26 अक्टूबर तक होगा।

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महालया (MAHALAYA) क्या है?

महालया पितृ पक्ष की समाप्ति का प्रतीक है। ऐसा कहा जाता है कि महालया के बाद देवी दुर्गा भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय, देवी लक्ष्मी और देवी सरस्वती सहित अपने बच्चों के साथ कैलाश पर्वत से पृथ्वी पर स्थित अपने मायके तक यात्रा शुरू करती हैं।

इस बार देरी के पीछे क्या है कारण?

हर कोई 2020 में महालया और दुर्गा पूजा के बीच एक महीने के अंतराल के पीछे का कारण जानना चाहता है। हम आपके लिए इसे सरल बना देते हैं। वार्षिक कैलेंडर बिसुद्धि सिद्धान्त और सूर्यसिद्धांत के अनुसार, इस वर्ष महालया और दुर्गा पूजा के बीच लंबे अंतर का कारण 'मलमास' या 'अधिक मास' है। इसका अर्थ है एक अतिरिक्त महीना। इसी वजह से इस बार चातुर्मास एक महीने लंबा यानी पांच मास का हो गया है।

मल मास क्या है?

2020 के बाद अगला मल मास या अतिरिक्त महीना 2039 में आएगा। पारंपरिक हिंदू कैलेंडर में एक महीने में 30 दिन होते हैं। शुक्ल पक्ष के 15 दिन और कृष्ण पक्ष के 15 दिन। पहला 15वां दिन पूर्णिमा के रूप में समाप्त होता है, जबकि दूसरा 15वां दिन अमावस्या होता है। इसका मतलब है कि साल के 12 महीनों में 360 दिन हुए, जबकि असल मे साल के 365 दिन होते हैं। अतः चंद्र और सौर कैलेंडर को संरेखित रखने के लिए एक अतिरिक्त महीना निश्चित समय बाद आता रहता है।

इसके अलावा चंद्र कैलेंडर में तिथियां सूर्य की 24 घंटे की घड़ी का पालन नहीं करती हैं और इन तिथियों में शुरुआत और अंत के अलग-अलग समय होते हैं। इसलिए हर तीन साल में कैलेंडर को संरेखित करने के लिए समायोजन किया जाता है। प्रत्येक 32.5 महीनों के लिए कैलेंडर का एक महीना बढ़ाया जाता है और इसे आदिक मास या मल मास कहा जाता है।

ऐसा पहली बार नहीं:

2020 से पहले 1982 और 2001 में भी महालया और दुर्गा पूजा के बीच एक लंबा अंतराल देखने को मिला था। इस बार यह पहली बार नहीं है जब महालया और दुर्गा पूजा में इतना अंतर आया है और जैसा कि बताया गया 2039 में भी ऐसा होगा।

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