- शुक्र को शुभ फल देने वाला माना जाता है
- मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की वैभव रूप यानी वैभव लक्ष्मी की पूजा की जाती है
- शुक्रवार के दिन जो भी भक्त वैभव लक्ष्मी का व्रत रखते हैं व वैभव लक्ष्मी की कथा पढ़ते हैं
Vaibhav Laxmi Vrat Vidhi: शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। शुक्र का सीधा संबंध माता लक्ष्मी से होता है। शुक्र को शुभ फल देने वाला माना जाता है। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की वैभव रूप यानी वैभव लक्ष्मी की पूजा की जाती है। शुक्रवार के दिन जो भी भक्त वैभव लक्ष्मी का व्रत रखता है व वैभव लक्ष्मी की कथा पढ़ता है मां लक्ष्मी उसकी हर मुराद पूरी करती हैं। हिंदू धर्म में वैभव लक्ष्मी व्रत का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं वैभव लक्ष्मी व्रत की शुरुआत कब से करनी चाहिए और कैसे रखा जाता है यह व्रत।
जानिए कब से करें व्रत की शुरुआत
वैभव लक्ष्मी का व्रत शुक्रवार को रखा जाता है। वैभव लक्ष्मी व्रत की शुरुआत शुक्रवार के दिन से करनी चाहिए। इस दिन सुबह स्नान के बाद शुद्ध होकर साफ वस्त्र धारण करें। सुबह मंदिर की साफ सफाई करें। मां लक्ष्मी का ध्यान करें व सारा दिन व्रत रखने का संकल्प लें। इस व्रत में फलाहार ले सकते हैं। वही व्रत होने के बाद शाम को अनाज ग्रहण कर सकते हैं।
ऐसे करें पूजा
इस व्रत को भक्त अपनी इच्छा अनुसार 11 व 21 शुक्रवार तक रख सकते हैं। वैभव लक्ष्मी की पूजा शाम को होती है। पूजा करने के लिए लकड़ी से बना आसन रखें। उसमें लाल कपड़ा बिछाकर वैभव लक्ष्मी माता की तस्वीर रखें। मुट्ठी भर चावल रखें। उस पर जल से भरा हुआ तांबे का कलश स्थापित करें। कलश के ऊपर एक छोटी सी कटोरी में सोने या चांदी का कोई भी आभूषण रख लें। वैभव लक्ष्मी की पूजा में लाल चंदन, लाल वस्त्र, लाल पुष्प जरूर रखें व इस दिन भोग के लिए खीर जरूर बनाएं। गाय के दूध से बनी खीर माता लक्ष्मी को अर्पित करें। इसके अलावा अगर आप खीर न बना सके तो सफेद मिठाई माता लक्ष्मी को जरूर चढ़ाएं।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)