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why we celebrate diwali: हम दीपावली क्‍यों मनाते हैं, जानें द‍िवाली सेल‍िब्रेशन के ये 10 बड़े कारण

Updated Nov 12, 2020 | 11:24 IST

Diwali 2020: दीपावली भारत के कुछ सबसे बड़े त्योहारों में गिना जाता है। कार्तिक मास के अमावस्या को पड़ने वाले इस त्योहार को पूरी दुनिया में लोग बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। जानिए इससे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।

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diwali 2020 : हम दीपावली क्‍यों मनाते हैं, जानें 10 कारण
मुख्य बातें
  • कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है
  • इस दिन को भगवान श्री राम के जीत की खुशी के तौर पर भी मनाया जाता है
  • स‍िखों के ल‍िए भी दीपावली के त्‍योहार का खास महत्‍व है

हर साल कार्तिक मास की अमावस्या पर पड़ने वाले दीपावली को मनाए जाने के कई कारण हैं। इस दिन सिर्फ दीयों को जलाने और खुशियों को बांटने की प्रथा नहीं है बल्कि दीपावली को मनाने के पीछे कई कारण हैं जिनसे बहुत से लोग अनजान हैं।  इस लेख को पढ़िए और जानिए क‍ि ना ही सिर्फ हिंदुओं को बल्कि अन्य धर्मों के लोगों को भी क्यों दीपावली मनानी चाहिए।

दीपावली के दिन जन्मी थीं माता लक्ष्मी 
माता लक्ष्मी धन की देवी हैं, हिंदू धर्म और शास्त्रों के अनुसार यह कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की अमावस्या के दिन समुद्र मंथन करते समय मां लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी। इसीलिए दीपावली के दिन माता लक्ष्मी का जन्मदिन मनाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। 

भगवान विष्णु ने बचाया था माता लक्ष्मी को
भगवान विष्णु का पांचवां अवतार वामन अवतार है। हिंदू कथाओं में यह बहुत प्रसिद्ध कथा है जिसमें भगवान विष्णु के वामन अवतार ने माता लक्ष्मी को राजा बाली के गिरफ्त से बचाया था। इसीलिए इस दिन दीपावली को मां लक्ष्मी की पूजा करके श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। 

कृष्ण ने नरकासुर का किया था वध
जब राक्षस राजा नरकासुर ने तीनों लोकों पर आक्रमण कर दिया था और वहां रहने वाले देवी-देवताओं पर अत्याचार कर रहा था तब श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। उसका वध करके श्री कृष्ण ने 16,000 महिलाओं को उसके कैद से आजाद किया था। इस जीत की खुशी को 2 दिन तक मनाया गया था जिसमें दीपावली का दिन मुख्य है। दिपावली पर्व का दूसरा दिन नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। 

पांडवों की हुई थी वापसी
हिंदू धर्म के एक महाकाव्य महाभारत के अनुसार कार्तिक अमावस्या के ही दिन पांडव 12 साल के वनवास के बाद लौटे थे। उनके आने की खुशी में प्रजा ने उनका स्वागत दीयों को जलाकर किया था। 

भगवान राम की हुई थी जीत
हिंदू धर्म के दूसरे महाकाव्य रामायण के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही भगवान श्री राम माता सीता और अपने भाई लक्ष्मण के साथ लंका पर विजय प्राप्त करके अयोध्या वापस लौटे थे। भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी के आने की खुशी में पूरा अयोध्या झूम उठा था और दीयों के प्रकाश से उन तीनों का स्वागत किया गया था। इस दिन को भगवान श्री राम के जीत की खुशी के तौर पर भी मनाया जाता है। 

दीपावली के ही दिन विक्रमादित्य का हुआ था राज तिलक
बहु पराक्रमी राजा विक्रमादित्य का राजतिलक दीपावली के दिन ही हुआ था। राजा विक्रमादित्य को उदारता, साहस और वीरता के लिए जाना जाता है। 

आर्य समाज के लिए है बेहद खास है यह दिन
भारतीय इतिहास में इस दिन 19वीं सदी के विद्वान महर्षि दयानंद ने आज के ही दिन निर्वाण को प्राप्त किया था। महर्षि दयानंद को हम आर्य समाज के संस्थापक के तौर पर जानते हैं। उन्होंने इंसानियत और भाईचारे को बढ़ावा दिया था। 

जैन के लिए है एक विशेष दिन 
दीपावली के दिन ही जैन धर्म के संस्थापक महावीर तीर्थंकर ने निर्वाण प्राप्त किया था। एक तपस्वी बनने के लिए उन्होंने अपने शाही जिंदगी और परिवार का त्याग किया था। व्रत और तप को अपनाकर उन्होंने निर्वाण को प्राप्त किया था। यह कहा जाता है कि 43 की उम्र में उन्होंने ज्ञान प्राप्त कर लिया था और जैन धर्म को विस्तार दिया था।

सिखों के लिए दीपावली का है बहुत महत्व
सिखों के तीसरे गुरु अमर दास ने दीपावली के दिन को एक विशेष दिन का दर्जा दिया था जब सारे सिख उनके पास आकर उनका आशीर्वाद लेते थे। दीपावली के दिन ही 1577 में पंजाब के अमृतसर जिले में स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास हुआ था। दीपावली का दिन सिखों के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 1619 में उनके छठवें गुरु हरगोविंद को मुगल शासक जहांगीर ने 52 राजाओं के साथ ग्वालियर किले से आजाद किया था। 

पोप जॉन पॉल की दीपावली स्पीच
1999 में दीपावली के शुभ अवसर पर पोप जॉन पॉल ने भारत के एक चर्च में eucharist का प्रबंध किया था। जिस दिन उन्होंने अपने माथे पर तिलक लगाकर अपने भाषण में दीपों के त्योहार दीपावली पर भाषण दिया था।

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