- आटे के दीपक में होता है मां अन्नापूर्णा का आशीर्वाद
- विशेषकर मनोकामना पूर्ति के जलाया जाता है आटे का दीपक
- ज्योतिष शास्त्र में भी बताया गया है आटे के दीपक का महत्व
Aate ka Deepak for Worship: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के कई नियम होते हैं। पूजा में कई विधियां होती है, जिसका पालन करके सभी देवी-देवताओं की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। दीप प्रजवल्लित करना पूजा का अहम हिस्सा माना जाता है। मंदिर से लेकर घर के पूजा पाठ में भगवान के समक्ष दीपक जरूर जलाया जाता है। अगर दीपक की बात करें तो आजकल मार्केट में पीतल, कांसा, तांबा से लेकर मिट्टी के दीये मिलते हैं। मिट्टी और पीतल के दीये ज्यादा प्रलचन में हैं। लेकिन अक्सर हम मंदिरों में आटे का दीया जलते हुए भी देखते हैं। आटे का दीया क्यों जलाया जाता है इसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते होंगे। चलिए जानते हैं क्या है मंदिर में आटे का दीया जलाने के पीछे की परंपरा और इसके क्या लाभ हैं।
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- मनोकामना पूर्ति के लिए जलाया जाता है आटे का दीपक।
- अन्य धातु के बने दीपक, यहां तक कि मिट्टी के दीपक से भी ज्यादा शुद्ध और पवित्र माना जाता है आटे का दीपक।
- आटा गेहूं के बनता है। इसलिए आटे का दीपक जलाने से मां अन्नापूर्णा का आशीर्वाद स्वत: मिल जाता है।
- तांत्रिक क्रियाओं में भी प्रयोग होता है आटे का दीपक।
- मंगलवार या शनिवार को किसी हनुमान मंदिर में आटे का दीपक जलाने से शनि ग्रह शांत होता है।
- आटे की दीप में चमेली का तेल डालकर जलाने से कुंडली में मंगल ग्रह शांत होता है।
- मनोकामना पूर्ति के लिए पांच मंगलवार आटे से बना पांच मुखी दीपक हनुमानजी के मंदिर में जलाना चाहिए।
- आटे के दीपक में थोड़ी की पीली हल्दी मिलाकर गूंथ लें। फिर इसे हाथों से दीपक का आकार दें। इसमें घी या तेल और बाती डालकर दीपक जलाएं।
- ज्योतिष शास्त्र में आटे के दीपक के क्रम इस तरह बताए गए हैं - एक दीपक से शुरुआत कर उसे 11 तक ले जाया जाता है। जैसे संकल्प के पहले दिन 1 फिर 2, 3, ,4 , 5 और 11 तक दीप जलाने के बाद 10, 9, 8, 7 ऐसे फिर घटते क्रम में दीपक जलाए जाते हैं।
मां अन्नापूर्णा का आशीर्वाद होने के कारण आटे का दीपक पवित्र माना जाता है। इससे कर्ज मुक्ति, विवाह में आ रही बाधाएं, बीमारी, संतान प्राप्ति, गृह कलेश जैसी कई समस्याओं में आटे का दीपक संकल्प या मनोकामना के अनुसार जलाया जाता है।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)