- नवरात्रि के मौके पर सुबह से ही मंदिरों में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना शुरु हो जाती है
- कई जगहों पर और मंदिरों में रातभर दुर्गास्तुति और भजन आरती के भजन चलते है
- नवरात्रि के पूरे नौ दिन पूजा पाठ के साथ भजन, आरती और हवन आदि का विशेष महत्व होता है
Durga Navami 2018 : आज नवरात्रि का 9वां दिन है। हिंदू धर्म में इस दिन को बेहद शुभ माना गया है। आज ही के दिन मां के 9वें रूप मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां का यह स्वरुप सिद्धि प्रदान करने वाला है। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता है। ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है।
नवरात्रि के मौके पर सुबह से ही मंदिरों में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना शुरु हो जाती है। कई जगहों पर और मंदिरों में रातभर दुर्गास्तुति और भजन आरती के भजन चलते है। हर जगह मां दुर्गा के मंत्रोच्चार, भजन और आरती से वातावरण गूंजायमान होता है। मां दुर्गा के कई आरती और भजन के संग्रह यू-ट्यूब पर मौजूद है जिसे सोनू निगम, चंचल , अनुराधा पौडवाल सहित कई गायक और गायिकाओं ने गाया है। यहां सुनें महा नवमी की आरती और डूब जाएं भक्ति के रस में...
मां महागौरी की आरती (Maa Durga Ki Aarti):
जय अम्बे गौरी
मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशदिन ध्यावत
तुमको निशदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी
ॐ जय अम्बे गौरी
जय अम्बे गौरी
मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशदिन ध्यावत
तुमको निशदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी
ॐ जय अम्बे गौरी
मांग सिंदूर विराजत
टीको मृगमद को
मैया टीको मृगमद को
उज्ज्वल से दो नैना
उज्ज्वल से दो नैना
चंद्रवदन नीको
ॐ जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर
रक्ताम्बर राजै
मैया रक्ताम्बर राजै
रक्तपुष्प गल माला
रक्तपुष्प गल माला
कण्ठन पर साजै
ॐ जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत
खड्ग खप्परधारी
मैया खड्ग खप्परधारी
सुर नर मुनि जन सेवत
सुर नर मुनि जन सेवत
तिनके दुखहारी
ॐ जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित
नासाग्रे मोती
मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर
कोटिक चन्द्र दिवाकर
सम राजत ज्योति
ॐ जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे
महिषासुर घाती
मैया महिषासुर घाती
धूम्र विलोचन नैना
धूम्र विलोचन नैना
निशदिन मदमाती
ॐ जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे
शोणित बीज हरे
मैया शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे
मधु कैटभ दोउ मारे
सुर भयहीन करे
ॐ जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी
तुम कमला रानी
मैया तुम कमला रानी
आगम-निगम बखानी
आगम-निगम बखानी
तुम शिव पटरानी
ॐ जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी गावत
नृत्य करत भैरव
मैया नृत्य करत भैरव
बाजत ताल मृदंगा
बाजत ताल मृदंगा
और बाजत डमरु
ॐ जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता
तुम ही हो भरता
मैया तुम ही हो भरता
भक्तन की दु:ख हरता
भक्तन की दु:ख हरता
सुख सम्पत्ति करता
ॐ जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित
वर-मुद्रा धारी
मैया वर-मुद्रा धारी
मनवान्छित फल पावत
मनवान्छित फल पावत
सेवत नर-नारी
ॐ जय अम्बे गौरी
कंचन थाल विराजत
अगर कपूर बाती
मैया अगर कपूर बाती
श्रिमालकेतु में राजत
श्रिमालकेतु में राजत
कोटि रतन ज्योति
ॐ जय अम्बे गौरी
श्री अंबेजी की आरती
जो कोई नर गावे
मैया जो कोई नर गावे
कहत शिवानंद स्वामी
कहत शिवानंद स्वामी
सुख-संपत्ति पावे
ॐ जय अम्बे गौरी
जय अम्बे गौरी
मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशदिन ध्यावत
तुमको निशदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी
ॐ जय अम्बे गौरी
नवरात्रि के पूरे नौ दिन पूजा पाठ के साथ भजन, आरती और हवन आदि का विशेष महत्व होता है। पूजा करने के दौरान साधक भरसक प्रयत्न करते है कि मनसा, वाचा और कर्मणा (मन से, वचन से और कर्म से) पूरी तरह शुचिता बनी रहे।