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Sheetla Mata ki Aarti: शीतला अष्टमी के दिन शीतला देवी की जरूर सुनें आरती, सभी रोगों से मिलेगी मुक्ति

Updated Apr 04, 2021 | 08:45 IST

Sheetla Mata Arti: हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी का बहुत बड़ा महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार शीतला अष्टमी के बाद से ही ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होती है।इस दिन शीतला माता की पूजा अर्चना जरूर करें।

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Sheetla Mata Mandir
मुख्य बातें
  • शीतला अष्टमी व्रत को भी विसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है।
  • शीतला अष्टमी में माता शीतला की पूजा अर्चना की जाती है।
  • हिंदू धर्म के अनुसार ग्रीष्मकाल की शुरुआत इस पूजा के बाद से ही होती है।

Sheetla Mata ki Aarti: भारत में शीतला अष्टमी का विशेष महत्व है। यह होली के आठवें दिन यानी कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह हमारे देश में 4 अप्रैल 2021 को मनाया जाएगा। 

इस पूजा में माता को भोग बासी खाने से भोग लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि बासी खाने के भोग से माता बहुत प्रसन्न होती है। भारत में शीतला अष्टमी व्रत को विसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है। 

इस दिन व्रती शाम में किचन की सफाई करके प्रसाद के लिए भोजन बनाकर रख देती है और अगले दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत का संकल्प लेकर शीतला माता के मंदिर में जाकर पूजा कर बासी भोजन का भोग लगाती है। 

दही-रबड़ी का भोग
शीतला माता को दही, रबड़ी, चावल और हलवा का भोग लगाया जाता हैं। हिंदू धर्म  ऐसी मान्यता है, कि इस पूजा के बाद से ही ग्रीष्मकाल की शुरुआत होती है। धर्म के अनुसार शीतला माता की पूजा-अर्चना करने से माता पृथ्वी पर शीतलता प्रदान करती है। 

शीतला माता को शीतल देने माता भी कहा जाता है। शीतला माता का यह व्रत रोगों से मुक्ति दिलाने का काम करता है। यदि आप अपने आप को सुरक्षित रहना चाहते है, तो शीतला माता की पूजा अर्चना जरूर करें। 

शीतला माता की आरती
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता,

आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता। जय शीतला माता...  

रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता,

ऋद्धि-सिद्धि चंवर ढुलावें, जगमग छवि छाता। जय शीतला माता...

विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता,

वेद पुराण बरणत पार नहीं पाता । जय शीतला माता...

इन्द्र मृदंग बजावत चन्द्र वीणा हाथा,

सूरज ताल बजाते नारद मुनि गाता। जय शीतला माता...

घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता,

करै भक्त जन आरति लखि लखि हरहाता। जय शीतला माता...

ब्रह्म रूप वरदानी तुही तीन काल ज्ञाता,

भक्तन को सुख देनौ मातु पिता भ्राता। जय शीतला माता...

जो भी ध्यान लगावें प्रेम भक्ति लाता,

सकल मनोरथ पावे भवनिधि तर जाता। जय शीतला माता...

रोगन से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता,

कोढ़ी पावे निर्मल काया अन्ध नेत्र पाता। जय शीतला माता...

बांझ पुत्र को पावे दारिद कट जाता,

ताको भजै जो नाहीं सिर धुनि पछिताता। जय शीतला माता...

शीतल करती जननी तू ही है जग त्राता,

उत्पत्ति व्याधि विनाशत तू सब की घाता। जय शीतला माता...

दास विचित्र कर जोड़े सुन मेरी माता,

भक्ति आपनी दीजे और न कुछ भाता।

जय शीतला माता...।  

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