धार्मिक मान्यताओं की मानें तो भगवान शिव ने हनुमान का अवतार लिया था। हम में से बहुत कम लोग इस बात को लोग जानते हैं कि भगवान शिव ने कुल 12 अवतार लिए हैं। जिनमें से एक अवतार उनका हनुमान का भी है। देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पवनपुत्र हनुमान जी के भक्तों की कोई कमी नहीं है।
हनुमान जी की पूजा हर मंगलवार और शनिवार को बड़े ही श्राधा पूर्वक से किया जाता है। कहा यह भी जाता हैं कि जो भक्त हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, उनके जीवन में सभी कष्टों का निवारण हनुमान जी करते है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर भगवान शिव को हनुमान का अवतार लेने के बाद उनका जन्म कहा हुआ था, अगर नहीं तो चलिए हम आपको इस पोस्ट में बताते है।
यहां हुआ था हनुमान जी का जन्म
मान्यताओं की मानें तो हनुमान जी का जन्म झारखंड के गुमला जिला मुख्यालय से करीब 21 किलोमीटर दूर आंजन गांव की एक गुफा में हुआ था। इसी वजह से इस जगह का नाम आंजन धाम है। इतना ही नहीं माता अंजनी का निवास स्थान होने की वजह से इस स्थान को आंजनेय के नाम से भी जाना जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि इन पवित्र पहाड़ों में एक ऐसी भी गुफा है जिसका संबंध सीधा-सीधा रामायण काल से जुड़ा है। माता अंजनी इस स्थान पर हर रोज भगवान शिव की आराधना करने आती थीं और इसी कारण से यहां 360 शिवलिंग स्थापित हैं।
कैथल, हरियाणा
झारखण्ड के बाद हरियाणा के कैथल को भी हनुमान जी का जन्म स्थान बताया जाता है। अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार कैथल का प्राचीन नाम कपिस्थल था। कुछ पुराणों में कहा गया हैं कि कैथल में वानर राज हनुमान का जन्म स्थान है। कपि के राजा होने की वजह से हनुमान जी के पिता केसरी को कपिराज के नाम से भी जाना जाता है।
हंपी, कर्नाटक
कर्णाटक के हम्पी में भी हनुमान जी के एक प्राचीन मंदिर स्थापित है। शास्त्रों की मानें तो यह क्षेत्र प्राचीन की किष्किंधा नगरी है और इसका उल्लेख वाल्मिकि रामायण व रामचरित मानस में मिलता है।
नासिक जिला, महाराष्ट्र
अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी का जनम स्थान भी अलग-अलग है। कुछ शास्त्रों की मानें तो हनुमान का जन्म अंजनेरी पर्वत पर हुआ था। यह जगह महाराष्ट्र के नासिक में स्तिथ है। बता दें कि अंजनेरी पर्वत पर माता अंजनी का मंदिर है और हनुमान जी का मंदिर उससे और अधिक ऊंचाई पर स्थित है।