नेपाल में कई हिंदू मंदिर हैं और इनके साथ तमाम मान्यताएं भी जुड़ी हैं। इन प्रसिद्ध मंदिरों में एक नाम बूढ़ानीलकंठ मंदिर का भी है। यहां की मूर्ति देखकर दुविधा हो सकती है कि ये भगवान बुद्ध का मंदिर है जबकि वास्तव में ये भगवान विष्णु को समर्पित है। ये मंदिर काठमांडु वैली में शिवपुरी पहाड़ी पर स्थित है।
दूर से ही मंदिर को भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा के आधार पर पहचाना जा सकता है। इस मंदिर की विष्णु प्रतिमा नेपाल की सबसे बड़ी पत्थर से तराशी गई मूर्ति मानी जाती है। यह करीब 5 मीटर ऊंची है और करीब 13 मीटर लंबी झील में पानी के बीच स्थापित है। इस मूर्ति में भगवान विष्णु शेषनाग की शैया पर लेटे हैं और हाथ में सुदर्शन चक्र और शंख लिए हैं। उनके मुकुट पर कीर्तिमुख नजर आता है। यह मंदिर हिंदू भक्तों के अलावा बौद्ध धर्म के अनुयायियों की भी आस्था का केन्द्र है।
मंदिर का परिसर
मंदिर का प्रवेश द्वार
मंदिर को लेकर कई कहानियां कही जाती हैं। एक के अनुसार एक किसान व उसकी पत्नी को ये मूर्ति खेत की जुताई करते समय मिली थी। बाद में पता लगा कि ये बूढ़ानीलकंठ की खोई प्रतिमा है और फिर उनको यहां स्थापित किया गया। दूसरी कहानी कहती है कि 7वीं शताब्दी में मूर्ति को कहीं और बनाया गया था और फिर सम्राट विष्णु गुप्त के समय यहां स्थापित किया गया।
यह कार्तिक एकादशी को यहां भव्य मेला लगता है क्योंकि इसी पर भगवान विष्णु कई दिनों की निद्रा से उठते हैं। इस मेले में दूर-दूर से लोग शामिल होने को आते हैं। यहां लोग विवाह सुख और संतान की कामना के साथ पूजा करने आते हैं।