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Bada Hanuman Mandir: संतान सुख की इच्छा पूरी करता है बड़ा हनुमान मंदिर, हर साल लंगूर बनकर आते हैं बच्चे

Updated Feb 09, 2021 | 07:21 IST

हनुमान जी का चमत्कारी मंदिर पंजाब के अमृतसर जिले में स्थित है। यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं हनुमान जी जरूर पूरी करते हैं। दंपत्ति संतान प्राप्ति के लिए इस मंदिर में आते हैं।

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Bada Hanuman Mandir
मुख्य बातें
  • अमृतसर का हनुमान मंदिर है बहुत चमत्कारी।
  • भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं हनुमान।
  • संतान सुख की इच्छा होती है पूरी

नई दिल्ली. भारत में ऐसे कई चमत्कारी मंदिर हैं जहां जाने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं। ऐसा ही एक मंदिर है पंजाब प्रांत के अमृतसर जिले में जो पूरे विश्व में प्रख्यात है। यह मंदिर हनुमान जी का मंदिर है जहां साल में एक बार बहुत भव्य मेला लगता है। 

हनुमान मंदिर में यह मेला कार्तिक महीने में लगता है जो 10 दिन तक चलता है। इस मेले में दुनिया के कोने-कोने से बच्चे आते हैं। मेले में आए बच्चे यहां हिस्सा लेते हैं और लंगूर बनते हैं। 

मान्यताओं के अनुसार जो भी दंपत्ति संतान सुख की प्राप्ति के लिए हनुमान जी के मंदिर दर्शन करने के लिए आता है, उसकी इच्छा हनुमान जी जरूर पूरी करते हैं। 

क्यों बच्चे बनते हैं लंगूर?
हनुमान जी का यह मंदिर बहुत प्राचीन है जो अमृतसर जिले में स्थित है। इस भव्य मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा विश्राम के मुद्र में मौजूद है। यह मंदिर उस पवित्र जगह पर स्थित है जहां लव-कुश ने हनुमान जी को वट वृक्ष के साथ बांधा था। 

जो महिला यहां संतान प्राप्ति की इच्छा के लिए हनुमान जी की कृपा लेने आती है वह यहां मन्नत मांगती है कि संतान होने के बाद उसके बच्चे यहां लंगूर बनेंगे। इसलिए यहां हर साल बड़ी संख्या में बच्चे आते हैं और लंगूर बनते हैं। साल में एक बार लगने वाला यह मेला बहुत भव्य होता है। 

इन बातों का रखें विशेष ध्यान
जो लंगूर बनने के लिए यहां आते हैं उन्हें कई सारी चीजों का पालन करना पड़ता है, जैसे यहां आने पर उनको अपने साथ पूजा के लिए मिठाई, 2 माला और नारियल जरूर लाना चाहिए। इसके साथ मंदिर के पूजारी से आर्शीवाद लेने के बाद वर्दी पहन कर नाचना पड़ता है। 

दिन में दो बार हनुमान जी के मंदिर में माथा टेकना आवश्यक है। अगर लंगूर बनने वाला बीमार है तो उसे भभूति ग्रहण करना पड़ता है। जो बच्चे यहां लंगूर बनने के लिए आते हैं उन्हें 10 दिन तक सुई-धागे और कैंची से दूर रहना पड़ता है और 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करना होता है। 

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