- 07 फरवरी को मनाई जाएगी षटतिला एकादशी
- 08 फरवरी को है पारण करने का शुभ मुहुर्त
- बिना कथा सुने पूरा नहीं होता है षटतिला एकादशी का व्रत
नई दिल्ली. हिंदू धर्म शास्त्रों में माघ मास की षटतिला एकादशी का व्याख्यान किया गया है। कहा जाता है कि षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की अराधना करने से वह खुश होते हैं और अपने भक्तों की इच्छाओं को पूरा करते हैं।
इस साल षटतिला एकादशी 07 फरवरी को मनाई जाएगी। प्रथा के अनुसाक षटतिला एकादशा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। परंपरा के अनुसार षटतिला एकादशी का व्रत, कथा सुनकर ही समाप्त करना चाहिए। कथा सुनने के बाद भक्तों को पारण करना चाहिए।
यहां जानिए षटतिला एकादशी व्रत कथा और पारण समय।
षटतिला एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार नारद मुनी भगवान विष्णु के पास जाते हैं और उनसे षटतिला एकादशी व्रत का महत्व पूछते हैं। तब भगवान विष्णु उन्हें बताते हैं कि बहुत समय पहले एक ब्राह्मण की पत्नी रहती थी जिसके पति की मृत्यु हो गई थी।
वह मेरी भक्ती में लीन रहती थी और मेरी पूजा-अराधना करती थी। माघ मास में उसने पूरे एक महिने तक व्रत रखा था जिसके वजह से वह मानसिक और शारीरिक रूप से शुद्ध हो गई थी। लेकिन वह कभी भी किसी को भी अन्न दान नहीं करती थी।
अपनी इस करनी के वजह से वह बैकुण्ठ में अतृप्त और असंतूष्ट रहने वाली थी। एक दिन मैं भेस बदल कर उस महिला से भिक्षा मांगने लगा लेकिन उस महिला ने मुझे मिट्टी का एक पिण्ड दे दिया।
कुछ दिन बाद उस महिला की मृत्यु हो गई और वह मेरे लोक में आ गई जहां उसे रहने के लिए कुटिया मिली। जब उसने देखा कि उसकी कुटिया खाली है तो वह तुरंत मेरे पास आई और अपना कष्ट बताया।
मैंने उसे बोला की जब तक देव कन्याएं तुम्हें षटतिला एकादशी का विधि ना बताएं तब तक तुम द्वार मत खोलना। कुछ दिनों बाद जब देव कन्या ने उस महिला को विधि बताया तब उस महिला ने ठीक वैसे ही षटतिला एकादशी का व्रत किया।
षटतिला एकादशी का व्रत करने से उस महिला की कुटिया में अन्न और धन का ढेर लग गया।
एकादशी तिथि एवं मुहुर्त
एकादशी की शुरुआत: - 07 फरवरी 2021 (शाम 06:26 से लेकर)
एकादशी की समाप्ति: - 08 फरवरी 2021 (रात 04:47 तक)
पारण की तिथि: - 08 फरवरी 2021 (दोपहर 01:42 से लेकर दोपहर 03:54 तक)