भारत में देवी देवताओं के कई मंदिर हैं। सभी मंदिरों की मान्यताएं अलग अलग हैं। इन्हीं में से एक मंदिर मां चंडिका का भी है। इस मंदिर को देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां पर देवी सती की बाईं आंख गिरी थी।
इसलिए ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में पूजा करने से आंखों की पीड़ा दूर हो जाती है। आंखों की पीड़ा से ग्रसित कई श्रद्धालु इस मंदिर में अपनी पीड़ा दूर करने के लिए आते हैं। वहीं नवरात्र के दौरान इस मंदिर में सुबह 3 बजे ही माता की पूजा शुरू हो जाती है।
बिहार में स्थित है यह मंदिर
आपको बता दें, मां चंडिका का मंदिर बिहार के मुंगेर जिले में स्थित है। यह मंदिर जिला मुख्यालय से लगभग 4 किलोमीटर दूर गंगा के किनारे स्थित है। इस मंदिर के पूर्व और पश्चिम में श्मशान घाट है। इसी वजह से मां चंडिका के इस मंदिर को श्मशान चंडी के नाम से भी जाना जाता है। नवरात्र के दौरान इस मंदिर में साधु तंत्र सिद्धि के लिए यहां आते हैं।
आंखों के असाध्य रोगों से पीड़ित लोगों के लिए खास है यह मंदिर
वैसे तो इस मंदिर में सभी तरह के भक्त पहुंचते हैं लेकिन आंखों के असाध्य रोगों से पीड़ित श्रद्धालु इस मंदिर में अधिक आते हैं। माना जाता है कि माता के मंदिर में बनाए गए काजल को लगाने से आंखों के रोगियों का विकार दूर हो जाता है। इस वजह से यहां आने वाले श्रद्धालु प्रसाद के रूप में यहां से काजल ले जाते हैं।
नवरात्र के दिनों में सुबह तीन बजे से शुरू हो जाती है पूजा
स्थानीय लोगों के मुताबिक नवरात्र के दिनों में यहां सुबह तीन बजे से ही माता की पूजा शुरू हो जाती है और संध्या के वक्त श्रृंगार पूजन किया जाता है।
माता के इस विशाल मंदिर परिसल में काल भैरव, शिव परिवार के अलावा अन्य देवी-देवताओं के भी मंदिर हैं, जहां श्रद्धालु पूजा करते हैं