- महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती की होती है पूजा।
- 11 मार्च से हो रही है चतुर्दशी तिथि की शुरुआत, विधि अनुसार करनी चाहिए पूजा।
- महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को बेलपत्र और जलाभिषेक जरूर करना चाहिए।
सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व बहुत विशेष महत्व रखता है। महाशिवरात्रि के पर्व पर शिव मंदिरों में भक्तों का भारी जमावड़ा लगता है। लोग दूर-दूर से शिव मंदिरों में दर्शन करने के लिए आते हैं। हर वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाता है। यह तिथि बहुत शुभ मानी जाती है और कहा जाता है कि जो भक्त इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं उन पर भगवान शिव और माता पार्वती की असीम कृपा बरसती है।
भक्त चाहें तो अपने घर में भी आसान विधि के साथ महाशिवरात्रि पूजन कर सकते हैं। अगर आप अपने घर में महाशिवरात्रि पूजन करना चाहते हैं तो आपके लिए यह लेख बहुत फायदेमंद साबित होगा।
यहां जानें, महाशिवरात्रि पूजन करने के लिए आसान विधि।
शिवरात्रि पूजन विधि (Maha Shivratri Puja Vidhi):
महाशिवरात्रि पर सुबह जल्दी उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर अपने आसन पर बैठ जाइए। अपने आसन पर बैठकर आचमन कीजिए और यज्ञोपवित धारण करके और अपने शरीर को शुद्ध कर लीजिए। इसके बाद अपने आसन को शुद्ध कीजिए और रक्षा दीप को जलाइए। दीप प्रज्वलित करने के बाद स्वस्ति पाठ कीजिए। अब भगवान गणेश की पूजा से महाशिवरात्रि पूजन की शुरुआत कीजिए। कहा जाता है कि अगर भक्त रुद्राभिषेक, लघुरूद्र, महारुद्र जैसे अनुष्ठान करना चाहते हैं तो कलश, षोडश-मात्रका और नवग्रह की भी पूजा करना अनिवार्य है। भगवान गणेश की पूजा करने के बाद माता पार्वती की पूजा कीजिए फिर कार्तिकेय, नंदीश्वर और वीरभद्र की भी पूजा कीजिए। महाशिवरात्रि पर सर्प का संक्षिप्त पूजा करना लाभदायक माना जाता है।
अब अपने हाथ में बिल्वपत्र और अक्षत लीजिए और भोलेनाथ का ध्यान करना शुरू कर दीजिए। महाशिवरात्रि पूजन विधि के अनुसार, भगवान शिव का ध्यान करने के तत्पश्चात आचमन, स्नान, घी-स्नान, दही-स्नान, शहद-स्नान और शक्कर-स्नान कराना चाहिए। महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ को पंचामृत स्नान करवाने से विशेष फल प्राप्त होता है। विधि अनुसार, भगवान शिव को पंचामृत स्नान के बाद सुगंध-स्नान और शुद्ध-स्नान करवाना चाहिए।
भगवान शंकर को स्नान करवाने के बाद वस्त्र, जनेऊ, इत्र, अक्षत, पुष्पमाला, सुगंध और बिल्वपत्र अर्पित कीजिए। अब भगवान शंकर को फल का भोग चढ़ाएं और धूप दीप जलाकर उनकी पूजा करें। पूजा करने के बाद भगवान शंकर को नैवेद्य लगाइए। अब भगवान शिव की आरती कीजिए और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप कीजिए। विधि अनुसार पूजा करने के बाद अंत में भगवान शंकर से क्षमा प्रार्थना अवश्य करना चाहिए।