- सोमवती अमावस्या को हिंदू धर्म में बेहद शुभ माना जाता है
- मान्यता है कि दान करने या किसी भूखे को भोजन कराने से विष्णुदेव प्रसन्न होते हैं
- आज के दिन पीपल के पेड़ और शिव जी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है
सोमवती अमावस्या के दिन विधि विधान से पूजा करने से पितृदोष दूर होता है। इसे हिंदू धर्म में बेहद शुभ माना जाता है। वहीं देखा गया है कि सोमवती अमावस्या सोमवार के दिन ही पड़ती है। इसलिए इस दिन विवाहित महिलाएं खासतौर पर पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। मान्यता अनुसार इस दिन दान करना अतिमहत्व होता है। मान्यता है कि दान करने या किसी भूखे को भोजन कराने से विष्णुदेव प्रसन्न होकर आशीष प्रदान करते हैं।
सोमवती अमावस्या के दिन पीपल की पूजा होती है। शास्त्रों में इस पेड़ को एक बड़ा स्थान प्रदान है इसलिये आज के दिन पीपल के पेड़ और शिव जी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। अत: सोमवती अमावस्या को पीपल के पूजन से सौभाग्य की वृद्धि होती है। कहते हैं कि पीपल के पेड़ पर शिव जी का वास होता है इसलिये सुहागिन महिलाएं पूजन और परिक्रमा कर के लाभ पाती हैं।
सोमवती अमावस्या के दिन करें ये खास उपाय
- इस दिन पवित्र नदी में स्नान कर के ब्रह्ममुहूर्त का फल प्राप्त लिया जा सकता है। इससे सूर्यदेव के साथ ही भगवान विष्णु ओर शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही शिव पूजन का भी विशेष महत्व है। विधि-विधान से हरि और हर का पूजन करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है।
- घरेलू झगड़ों क्लेश से छुटकारा पाने के लिये सूर्य को अर्घ्य देते समय ॐ पितृभ्य नमः मंत्र का जप करें।
- सोमवती अमावस्या के दिन सूर्य नारायण को अर्घ्य देना अतिउत्तम बताया गया है। ऐसा करने से गरीबी और दरिद्रता दूर होती है।
- यदि चंद्र कमजोर स्थिति में है तो गाय को दही और चावल खिलाएं इससे मानसिक शांति प्राप्त होने के साथ ही एकाग्रता भी बढ़ेगी।
- इस दिन जो व्यक्ति धोबी, धोबन को भोजन कराकर अपनी सामर्थ्य अनुसार दान करता है उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
- यदि व्यवसाय में परेशानियां हो रही हो तो सोमवती अमावस्या के दिन पीपल वृक्ष के नीचे तिल के तेल का दिया जलाकर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करे। ऐसा करने से उनके व्यापार की बाधाएं दूर होने लगेगी।
आर्थिक संकट से छुटकारा पाने के लिए सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी के पौधे की श्री हरि-श्री हरि अथवा ॐ नमो नारयण का जाप करते हुए परिक्रमा करनी चाहिए।