- चाणक्य ने कहा है कि हर संतान को आज्ञाकारी होना चाहिए
- अगर संतान आज्ञाकारी हो तो माता पिता का जीवन सुखी होता है और वे खुशीपूर्वक अपना जीवन व्यतीत करते हैं
- चाणक्य ने कहा है कि अगर पुत्र विद्वान हो तो माता पिता के जीवन में खुशियां आती हैं
हिंदू धर्म में चाणक्य नीति का बहुत महत्व है। चाणक्य नीति ना सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी प्रसिद्ध है। चाणक्य की नीतियों को लोग अपने जीवन में उतारते हैं और सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ते हैं। आज भी चाणक्य नीति की उतनी ही प्रासंगिकता है जितनी की प्राचीन समय में थी।
आचार्य चाणक्य ने शासन, प्रशासन, अर्थशास्त्र और राजनीति से जुड़े कई ग्रंथ लिखे और नीतियां भी बनायी। चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे और उन्होंने चंदगुप्त को राजा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। माना जाता है कि जो व्यक्ति चाणक्य की नीतियों का अनुसरण करता है और उसे अपने जीवन में उतारता है, उसे कामयाबी जल्दी मिलती है। आज भी चाणक्य की बातें बहुत मायने रखती हैं। चाणक्य ने संतान के बारे में भी कुछ बातें कही हैं। आइये जानते हैं संतान से जुड़ी चाणक्य की कुछ मुख्य बातें।
ऐसी हो औलाद तो बर्बाद हो सकता है घर
प्रतिष्ठा का नाश करता है कुपुत्र
चाणक्य नीति के अनुसार जो कुपुत्र अपने माता पिता का सम्मान नहीं करता और घर की प्रतिष्ठा और मान मर्यादा का नाश करता है। जिस घर में कुपुत्र का जन्म होता है वहां माता पिता हमेशा दुखी रहते हैं। ऐसे घर में पितरों का तर्पण करने वाला भी कोई नहीं बचता और सबका नाश होता है।
संतान होना चाहिए आज्ञाकारी
चाणक्य ने कहा है कि हर संतान को आज्ञाकारी होना चाहिए। अगर संतान आज्ञाकारी हो तो माता पिता का जीवन सुखी होता है और वे खुशीपूर्वक अपना जीवन व्यतीत करते हैं। इससे संतान को भी अपने माता पिता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वह तरक्की करता है।
संतान में नहीं होनी चाहिए बुरी आदतें
चाणक्य नीति के अनुसार जिस घर की संतान में बुरी या गलत आदतें होती हैं उस घर का भगवान ही मालिक होता है। ऐसी संतान ना तो माता पिता के सम्मान को बढ़ाता है और ना ही कुल की मर्यादा का ख्याल रखता है। बुरी आदतें और गलत लोगों की संगत में आकर वह इतना बिगड़ जाता है कि सही और गलत में अंतर समझने की क्षमता नहीं बचती है।
चंद्रमा के समान होता है सदाचारी पुत्र
चाणक्य ने कहा है कि अगर पुत्र विद्वान हो तो माता पिता के जीवन में खुशियां आती हैं और घर में उजाला रहता है। चाणक्य ने विद्वान पुत्र को चंद्रमा के समान बताया है। चाणक्य के अनुसार जिस तरह चंद्रमा के प्रकाश से तारों को रोशनी मिलती है और रात्रि में उसका प्रकाश फैलता है, उसी तरह विद्वान और सदाचारी संतान भी अपने कुल को रोशन करता है और प्रतिष्ठा को बनाए रखता है।
चाणक्य की नीतियों का अनुसरण करते हुए माता पिता को अपनी संतान को अच्छा पाठ पठाना चाहिए। जिससे वह सदाचारी और आज्ञाकारी बने एवं कुल की मान मर्यादा का सम्मान करे।