- छठ पर्व दिवाली के छठे दिन मनाया जाता है।
- यह पर्व लोकआस्था से जुड़ा है और सूर्य भगवान को समर्पित है।
- व्रती 36 घंटे निर्जला व्रत रहती है और भगवान सूर्य की पूजा करती है।
नई दिल्ली: हिंदू पंचांग के अनुसार, छठ हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी यानी छठी तिथि पर मनाया जाता है। यह हमेशा दीपावली के 6 दिन बाद पड़ता है जो नहाय खाय की परंपरा से प्रारंभ होता है। यह व्रत करने वाले व्रती 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखते हैं। जिसके बाद छठी मैया की आराधना और सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत का समापन किया जाता है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाने वाला यह महापर्व पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में छठ पूजा पर एक अलग ही धूम देखने को मिलती है। संतान की सुख, समृद्धि और दीर्घायु की कामना के लिए इस दिन सूर्य देव और छठी मइया की पूजा की जाती है। इस व्रत में सुबह और शाम के अर्घ्य देने की परंपरा है।
नहाए खाए के साथ शुरु होने वाले इस पर्व में व्रती और महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं और फिर सूर्य देव और छठी मइया की अराधना करती हैं। पौराणिक कथाओं के मुताबिक छठी मइया सूर्य देव की बहन हैं।
छठ पूजा 2021 में कब है, Chhath Puja 2021 Date in Bihar, Chhath Puja 2021 Date in Indian calendar
नहाए खाए के साथ शुरु होने वाला छठ पूजा का पहला दिन 8 नवंबर, 2021 को है। छठ का दूसरा दिन खरना 9 नवंबर को है। छठ पूजा में खरना का विशेष महत्व होता है। इस दिन व्रत रखा जाता है और रात में खीर का प्रसाद ग्रहंण किया जाता है। छठ का तीसरा दिन छठ पूजा या संध्या अर्घ्य 10 नवंबर 2021, दिन बुधवार को है। षष्ठी तिथि 9 नवंबर 2021 को शुरु होकर 10 नवंबर को 8:25 पर समाप्त होगा। आइए जानते हैं छठ पूजा पर सूर्योदय और सूर्यास्त का समय।
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय समय – सुबह 6:40
सूर्यास्त समय – शाम 5:30
Chhath Puja 2021 Date in Bihar, छठ पूजा का पहला दिन- नहाय खया
चार दिनों तक चलनेवाले इस महापर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है। इस दिन व्रती स्नान कर नए वस्त्र धारण कर पूजा के बाद चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैं। व्रती के भोजन करने के बाद परिवार के सभी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं।
छठ पूजा का दूसरा दिन- खरना
छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है। इस पूजा में महिलाएं शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ का खीर बनाकर उसे प्रसाद के तौर पर खाती हैं । महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरु हो जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही छठी मइया का घर में आगमन हो जाता है।
छठ पूजा का तीसरा दिन
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि यानि छठ पूजा के तीसरे दिन व्रती महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं। साथ ही छठ पूजा का प्रसाद तैयार करती हैं। शाम के समय नए वस्त्र धारण कर परिवार संग किसी नदी या तलाब पर पानी में खड़े होकर डूबते हुए सूरज को अर्घ्य देते हैं। तीसरे दिन का निर्जला उपवास रातभर जारी रहता है।
छठ पूजा का चौथा दिन
छठ पूजा के चौथे दिन पानी में खड़े होकर उगते यानी उदयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसे उषा अर्घ्य या पारण दिवस भी कहा जाता है। अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाएं सात या ग्यारह बार परिक्रमा करती हैं। इसके बाद एक दूसरे को प्रसाद देकर व्रत खोला जाता है। 36 घंटे का व्रत सूर्य को अर्घ्य देने के बाद तोड़ा जाता है। इस व्रत की समाप्ति सुबह के अर्घ्य यानी दूसरे और अंतिम अर्घ्य को देने के बाद संपन्न होती है।