- यह पूजा ज्यादातर कायस्थ समाज के लोग करते हैं
- कर्मों का लेखा जोखा चित्रगुप्त जी के पास ही रहता है
- कलम दवात की पूजा तथा भगवान चित्रगुप्त जी की आराधना से विद्वता आती है
कायस्थों के पिता भगवान चित्रगुप्त कलम तथा विद्वता के देवता माने जाते हैं। ज्योतिषाचार्य सुजीत जी महाराज के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन चित्रगुप्त पूजा की जाती है। कर्मों का लेखा जोखा चित्रगुप्त जी के पास ही रहता है। यह पूजा ज्यादातर कायस्थ समाज के लोग करते हैं। वे कलम के पुजारी तथा बहुत ही बौद्धिक जाति है जिसने हर फील्ड में तमाम विद्वानों को दिया। यह पूजा समस्त लोग कर सकते हैं।
कोई भी इस पूजा को करके भगवान चित्रगुप्त का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा बहुत धूमधाम से होती है। इस वर्ष यह पूजा दिनांक 29 अक्टूबर दिन मंगलवार को है। दीपावली की रात्रि से ही कलम रख दी जाती है तथा फिर चित्रगुप्त पूजन के दिन विधिवत कलम दावात की पूजा होती है।
चित्रगुप्त पूजन की विधि तथा कलम दवात की पूजा-
पूजा घर में भगवान चित्रगुप्त जी की मूर्ति रखते हैं। एक अखंड दीप जलाते हैं। धूप अगरबत्ती दिखाने के बाद उनको नमन करके पूजा आरम्भ करते हैं। एक साफ सुथरा आसन प्रायः कुश का हो तो बेहतर है उसे बिछा लेते हैं। सफेद कागज पर पुनः हल्दी चंदन से भगवान चित्रगुप्त जी की तस्वीर बनाते हैं। उसी पूजा स्थान पर पूरे परिवार के सदस्य साथ बैठते हैं तथा सब अपनी अपनी पुस्तक रख देते हैं। एक थाली में कलम, दूर्वा, हल्दी, चंदन, दही, इत्यादि सामान रखे जाते हैं। अब प्रत्येक सदस्य हर पुस्तक पर इन सामग्रियों को चढ़ता है। हल्दी तथा दही प्रत्येक कलम पर लगाते हैं। अब हर सदस्य बारी बारी उस पन्ने पर जिस पर चित्रगुप्त जी की तस्वीर बनी है राम राम लिखता है। ॐ चित्रगुप्ताय नमः लिखते हैं। प्रत्येक सदस्य जब पूजा सम्पूर्ण कर लेगा फिर हवन होता है तथा फिर भगवान चित्रगुप्त जी की विधिवत आरती होती है। अंत में प्रसाद का वितरण होता है।
चित्रगुप्त पूजन का शुभ मुहूर्त-
दिनांक 29 अक्टूबर को द्वितीया प्रातः 06 बजकर 15 मिनट से 30 अक्टूबर को प्रातः 03 बजकर 50 मिनट तक है। दोपहर 01 बजकर 10 मिनट से 03बजकर 26 मिनट तक पूजन का सबसे शुभ मुहूर्त है।
चित्रगुप्त पूजन का लाभ-
कलम दवात की पूजा तथा भगवान चित्रगुप्त जी की आराधना से विद्वता आती है। कायस्थों के तो ये मुख्य आराध्य तथा पिता हैं। इसीलिए कायस्थ शिक्षा में बहुत ध्यान देते हैं। इनके यहां पढ़ाई तथा बौद्धिक कार्य ही मुख्य होता है। यह पूजा कोई भी कर सकता है। यह समस्त समाज के लिए शिक्षा की पूजा है। सब पढ़े। सब विद्वान हों तथा समस्त विश्व में अपने ज्ञान का आलोक फैलाएं ,यही इस पूजा का दार्शनिक महत्व है।
इस पूजा को पूर्णतया श्रद्धा तथा समर्पण से करने पर भगवान चित्रगुप्त का आशीर्वाद प्राप्त होता है।