- काल का अर्थ है काला और भैरव का मतलब है शिव शंकर
- व्रत रखने के अलावा इस दिन काल भैरव के मंत्र जाप भी किया जाता है
- कालाष्टमी के दिन शिव जी के स्वरूप कालभैरव की पूजा करनी चाहिये
Kalashtami Vrat 2019: कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शिव जी के रूप कालभैरव की पूजा होती है। आज की के दिन शंकर के इस रूप का जन्म हुआ था। काल का अर्थ है काला और भैरव का मतलब है शिव शंकर। कहते हैं इस दिन कालभैरव की पूजा जो भी करता है वह जीवन भर नकारात्मक शक्तियों से दूर रहता है।
व्रत रखने के अलावा इस दिन काल भैरव के मंत्र जाप से भगवान महादेव प्रसन्न होते हैं। कलियुग के समय में काल भैरव की उपासना शीघ्र फल प्रदान करने वाली है। हमारे हिंदू शास्त्रों के अनुसार भैरव जी की उपासना अन्य सभी देवताओं से शीघ्र फल प्रदान करने वाली होती है। आपको आज के दिन अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार उनकी उपासना करनी चाहिये। अब आइये जानते है काल भैरव को प्रसन्न करने के लिये कालाष्टमी पर किस प्रकार से उनकी पूजा करें...
काल भैरव की पूजा एवं व्रत विधि
- कालाष्टमी के दिन शिव जी के स्वरूप कालभैरव की पूजा करनी चाहिये।
- इस दिन सुबह जल्दी उठ कर नित्य-क्रिया खतम कर के नहा लें और हो सके तो गंगा जल से शुद्धि कर लें।
- व्रत का संकल्प लेकर पितरों को याद करें और उनका श्राद्ध करें।
- इसके बाद कालभैरव की पूजा करें।
- आधी रात में धूप, दीपक, काले तिल, उड़द और सरसों के तेल से भैरव जी की पूजा कर के आरती करें।
- किसी काले कुत्ते को व्रत खत्म करने के बाद मीठी रोटियां खिलाएं।
काल भैरव मंत्र
ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम: