- आज से प्रारंभ हो रहा है कार्तिक पूर्णिंमा का पावन पर्व।
- इस दिन श्रीहरि भगवान विष्णु ने संखासुर नामक दैत्य का किया था वध।
- कार्ति पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की कथा का है विशेष महत्व।
Kartik Purnima 2021 Puja Vidhi 2021: सभी पूर्णिमा तिथियों में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान और दान करने से सभी कष्टों का निवारण होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन श्रीहरि भगवान विष्णु ने संखासुर नामक दैत्य का वध करने के लिए मत्यास्यावर अवतार लिया था और भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक दैत्य का वध कर तीनों लोक को उसके अत्याचार से बचाया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करना चाहिए। तथा कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सत्यनारायण भगवान की कथा का पाठ करने से भगवान की कृपा सदैव बनी रहती है। ऐसे में आइए जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा की पूजा विधि।
कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि
कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर बह्म मुहूर्त में स्नान करें, हो सके तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि किसी कारणवस नदी में स्नान करना संभव नहीं है तो नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें। इसके बाद श्रीहरि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें। इसके लिए सबसे पहले एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर विष्णु जी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें और फिर दीप प्रज्जवलित कर पूजन करें। तथा सत्यनारायण भगवान की कथा का पाठ करें। मान्यता है कि इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा करने से भगवान की कृपा सदैव बनी रहती है।
शाम के समय दीप जलाकर तुलसी जी की पूजा अर्चना करें। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान शालीग्राम से विवाह के बाद मां तुलसी का वैकुण्ठ धाम में आगमन होता है।