- सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत बेहद खास होता है
- महिलाएं निर्जला व्रत रखकर सोलह श्रृंगार करके छलनी से अपने पति के चेहरे का दीदार करती हैं
- यह परंपरा प्राचीन काल से चलती आ रही है
सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत बेहद खास होता है। महिलाएं निर्जला व्रत रखकर सोलह श्रृंगार करके छलनी से अपने पति के चेहरे का दीदार करती हैं। वैसे तो करवा चौथ पूजा की थाली में विभिन्न प्रकार की सामग्री रखी जाती है लेकिन इन सबमें छलनी का सबसे अधिक महत्व होता है।
करवा चौथ की रात चांद निकलने पर महिलाएं छलनी पर दीपक रखकर पहले चांद को देखती हैं और फिर उसी छलनी से अपने पति को भी निहारती हैं। इसके बाद पति को टीका लगाकर पैर छूती हैं और उसके लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसके बाद पत्नी अपने पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत खोलती है। यह परंपरा प्राचीन काल से चलती आ रही है। आइये जानते हैं करवा चौथ के दिन महिलाएं छलनी से क्यों करती हैं पति का दीदार।
करवा चौथ के दिन इसलिए छलनी से पति को निहारती हैं महिलाएं
पुराणों के अनुसार चंद्रमा को ब्रह्मा भगवान का रुप माना जाता है। मान्यता है कि चांद को लंबी उम्र का वरदान मिला हुआ है। चंद्रमा शिव के सिर पर विराजता है। चंद्रमा की पूजा उसकी शीतलता, प्रेम, सुंदरता और लंबी आयु के कारण होती है। चंद्रमा में मौजूद ये सभी गुण हर महिला अपने पति में चाहती है।
इसलिए पति की दीर्घायु के लिए करवा चौथ का व्रत रखकर पत्नी पहले चांद को छलनी से निहारती है और फिर छलनी से अपने पति का दीदार कर कामना करती है कि उसका पति भी चंद्रमा की तरह ही गुणवान हो और उसकी उम्र लंबी हो।
छलनी से चांद देखने से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक साहूकार था जिसके सात पुत्र और एक पुत्री थी। बड़े होने पर साहूकार ने अपनी पुत्री का विवाह कर दिया। विवाह के बाद उसकी पुत्री ने अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा। रात में जब उसके सभी भाई भोजन करने बैठे तब उन्होंने अपनी बहन से भी साथ बैठकर भोजन करने के लिए कहा। तब बहन ने कहा कि चांद निकलने पर उसे अर्घ्य देकर मैं भोजन करुंगी। सभी भाइयों ने मिलकर अपनी बहन को भोजन खिलाने की योजना बनायी।
भाइयों ने घर से दूर एक दीया रखा और बहन के पास एक छलनी ले जाकर दीये के प्रकार को दिखाते हुए कहा कि देखो बहन चांद निकल आया है। अब अर्घ्य देकर भोजन कर लो। इस तरह उसका व्रत टूट गया और उसका पति बीमार पड़ गया। ऐसा छल किसी और सुहागिन के साथ ना हो इसलिए छलनी से दीया रखकर चांद देखने की प्रथा शुरू हुई।
इस तरह पूरी श्रद्धा के साथ करवा चौथ का व्रत रखकर शादीशुदा महिलाएं छलनी पर दीया रखकर चांद और अपने पति को निहारती हैं।