- पति तथा पत्नी के प्रेम का अमर पर्व करवा चौथ कार्तिक मास में पड़ता है
- इस बार यह व्रत दिनांक 17 अक्टूबर को है
- जिन लोगों का विवाह इस वर्ष हुआ है, उनके लिए इस वर्ष का सुखद संयोग बहुत लाभकारी है
पति तथा पत्नी के प्रेम का अमर पर्व करवा चौथ कार्तिक मास में पड़ता है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। इस व्रत को रखने से पति पत्नी के रिश्तों में माधुर्यता आती है और दाम्पत्य जीवन अच्छा होता है।
पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस बार यह व्रत दिनांक 17 अक्टूबर को है। इस बार का करवा चौथ व्रत अन्य सालों के मुकाबले बेहद अलग है। ऐसा इसलिये क्योंकि इस वर्ष बेहद खास संयोग बन रहा है। इसके अलावा, उपवास का समय 13 घंटे और 56 मिनट के करीब होगा। इस वर्ष चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में है। यह संयोग 70 साल बाद आया है। जिन लोगों का विवाह इस वर्ष हुआ है, उनके लिए इस वर्ष का सुखद संयोग बहुत लाभकारी है। मंगल तथा शुक्र का गोचर भी प्यार को बढ़ाएगा। आइये जानते हैं इस वर्ष करवा चौथ का संयोग किस तरह से खास है....
इस वर्ष का करवाचौथ क्यों है विशेष
ज्योतिषाचार्य सुजीत जी महाराज के अनुसार चंद्रमा की 27 पत्नियों में सबसे प्रिय पत्नी रोहिणी हैं। चंद्रमा का रोहिणी में रहने के कारण यह व्रत पति पत्नी के प्रेम में और माधुर्यता लाएगा। इस रात्रि चंद्रमा तथा रोहिणी के प्रेम की रस वर्षा में पति पत्नी के बीच अमर प्रेम स्थापित होगा।
नए जोड़ों के लिये बेहद लाभकारी है इस बार का करवा चौथ
जिन लड़के लड़कियों का विवाह इस वर्ष हुआ है,उनके लिए इस वर्ष का सुखद संयोग बहुत लाभकारी है। मंगल तथा शुक्र का गोचर भी प्यार को बढ़ाएगा।
करवा चौथ व्रत की विधि
इस खास दिन सुहागिन स्त्रियां पूरे दिन निराजल व्रत रखकर अपनी श्रद्धा अनुसार भजन कीर्तन करती हैं और यह व्रत अपनी अपनी विधि से करती हैं। सायंकाल मंदिर जाती हैं। चंद्रमा को देखकर उसको अर्ध्य देकर चलनी से पति तथा चांद को निहारकर पूजा करती हैं और फिर पति का चरण स्पर्श करके व्रत पूर्ण करती हैं।
इस तरह से करवा चौथ बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस दिन का सदुपयोग करें। इस दिन सभी सुहागिन महिलाओं को लाल या नारंगी, हरी, पीली साड़ी पहननी चाहिये। सोलह श्रृंगार कर भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करें। साथ ही अपने आपको पति के प्रेम में समर्पित करें।