माघ मास में आने वाली अमावस्या को माघी या मौनी अमवास्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन मौन व्रत धारण कर संगम में या फिर किसी पवित्र नदी में डुबकी लगाने का विशेष महत्व है। यही नहीं इस दिन दान करने का भी बड़ा महत्व माना गया है। इस दिन लोग स्नान कर अन्न, वस्त्र, धन, गौ और भूमि का दान करते हैं, इसका फल सतयुग के ताप के बराबर माना गया है।
मौनी अमावस्या पर मौन रख व्रत रखा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य को आत्मा और चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। ऐसे में किसी साधना को निर्विघ्न रूप से पूरा करने के लिए मन को नियंत्रित करना जरूरी है। ऐसे में मन पर नियंत्रण पाने के लिए माघ मास की अमावस्या के दिन मौन रखकर स्नान करने का विधान है। अब आइये जानते हैं मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त क्या है और मौनी अमावस्या पूजन के नियम क्या हैं...
मौनी अमावस्या शुभ मुहूर्त
- अमावस्या तिथि आरंभ- सुबह 2 बजकर 17 मिनट से (24 जनवरी 2020)
- अमावस्या तिथि समाप्त - अगले दिन सुबह 3 बजकर 11 मिनट तक (25 जनवरी 2020)
मौनी अमावस्या पूजन के नियम
- मौनी अमावस्या पर सुबह और शाम दोनों ही वक्त नहाना होता है।
- स्नान से पहले माथे पर जल को लगाएं और तब स्नान करना शुरू करें।
- इस दिन सूर्य को को अर्घ्य जरूर दें और जल में काले तिल जरूर डालें।
- स्नान और पूजन के बाद दान करना जरूरी है। तभी पूजा सफल होगी।
- कोशिश करें कि इस दिन फलहार ही ग्रहण करें।
- इस दिन क्रोध करने से व्रत और पूजा का फल कम हो जाता है।
- मौनी अमावस्या के दिन किसी को भी अपशब्द न बोलें।
ऐसा कहा जाता है कि मौनी आमवस्या के दिन गंगा जल अमृत में बदल जाता है। इस दिन अगर आप व्रत रख रहे हैं तो प्रात उठ कर सबसे पहले स्नान करें और फिर भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करें।